“Congress can take U turn on 5 seats, Nisha from Amla”
निशा का इस्तीफा 23 अक्टूबर को देर रात हुआ स्वीकार।लंबी लड़ाई के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई थी फटकार।
उदित नारायण
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया को मात्र तीन दिन शेष हैं, ऐसे में कांग्रेस और भाजपा के अलावा सपा और बसपा में भी बीफार्म को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। भाजपा और कांग्रेस में कई सीटों पर प्रत्याशी को लेकर भारी विरोध देखने को मिल रहा है। भाजपा ने जहां अपने वरिष्ठ नेताओं को डैमेज कंट्रोल के काम में झौंक दिया है, वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझते हुए करीब 5 विधानसभा सीटों पर यूटर्न लेकर विरोध को शांत करने की जुगत में भी है। वहीं बैतूल जिले की आमला सीट पर कांग्रेस ने राज्य प्रशासनिक अधिकारी रहीं निशा बांगरे को टिकट देने के लिए लंबे समय तक इस सीट को होल्ड पर रखा था, लेकिन 22 अक्टूबर तक सरकार ने निशा का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया तो आखिरकार कांग्रेस ने 23 अक्टूबर को दोपहर में मनोज मालवे को आमला से मैदान में उतार दिया। मजे की बात यह है कि मनोज मालवे को टिकट मिलने की खबर लगते ही सरकार ने हाईकोर्ट की 23 अक्टूबर डेडलाइन वाली फटकार के बाद सोमवार को देररात निशा बांगरे का इस्तीफा स्वीकार तो कर लिया, लेकिन उसका आदेश मंगलवार को सामने आया।
सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी लंबी लड़ाई
सूत्रों के अनुसार राजनैतिक गलियारे से खबर निकलकर आ रही है कि कांग्रेस आमला के प्रत्याशी को बदलकर निशा बांगरे को अपना उम्मीदवार बना सकती है, क्योंकि मनोज मालवे का कांग्रेस ने भविष्य की रणनीति को भांपते हुए बीफार्म रोक कर रखा था। यह सिर्फ उनके नाम की घोषणा मात्र साबित हो सकती है। बता दें कि निशा बांगरे ने पिछले 3 माह पूर्व इस्तीफा विधानसभा चुनाव लडने के लिए ही दिया था। राजनीति में जाने के लिए वे पिछले एक साल से भाजपा और कांग्रेस नेताओं के संपर्क में थीं। सरकार ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था, जिसके चलते उन्होंने आमला से लेकर भोपाल तक पदयात्रा कर राज्य सरकार की तानाशाही के खिलाफ सड़कों पर लड़ाई लड़ी लेकिन सरकार ने फिर भी इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था। जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वयं दखल न देकर, हाईकोर्ट को इस मामले में विस्तृत निर्देश देते हुए तत्काल फैसला लेने को कहा था। तब जाकर हाईकोर्ट ने मप्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए 23 अक्टूबर तक इस्तीफे पर फैसला लेने की डेडलाइन दी थी।
बिजावर सीट पर हो सकता है सपा से समझौता
इधर, छतरपुर जिले की बिजावर विधानसभा पर कांग्रेस ने चरण सिंह यादव के नाम की घोषणा की थी। जिन पर बाहरी होने का ठप्पा लगा है। इधर, समाजवादी पार्टी ने भी यहां से भाजपा की पूर्व विधायक रेखा यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। इंडिया गठबंधन का हिस्सा रही सपा को कांग्रेस नाराज नहीं करना चाहती है, इसलिए कांग्रेस द्वारा सपा की प्रत्याशी रेखा यादव को समर्थन देने की सुगबुगाहट चल रही है। यहां गौरतलब है कि यदि कांग्रेस सपा की नाराजगी दूर करने के लिए चरण सिंह यादव को चुनावी समर से बाहर कर देती है, तो उसे इसका खामियाजा कांग्रेस को बिजावर के साथ साथ बडा मलहरा सीट पर भी भुगतना पड सकता है। चरण सिंह को बिजावर विधानसभा से टिकट देने के पीछे की रणनीति थी कि वे बिजावर के साथ-साथ बडामलहरा सीट की कांग्रेस प्रत्याशी रामसिया भारती को आर्थिक रूप से सपोर्ट करेंगे। अब सोचने वाली बात ये है कि यदि चरणसिंह घर बैठ गए तो इन दोनो प्रत्याशियों की नैया किसके भरोसे पर लगेगी।
शिवपुरी और करैरा विधानसभा क्षेत्रों में भी घमासान
वहीं शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी द्वारा घोषित प्रत्याशी केपी सिंह कक्का जी का क्षेत्र में भारी विरोध हो रहा है। उसकी वजह है कि वे बाहरी हैं। वहीं भाजपा से कांग्रेस में आए विधायक वीरेंद्र रघुवंशी भी बड़ा चेहरा हो सकते थे। वीरेंद्र रघुवंशी पर कांग्रेस द्वारा निर्णय न लेना उन्हें भारी पड़ सकता है। इधर, करेरा विधानसभा से प्रत्याशी प्रागीलाल जाटव पारिवारिक विवादों के साथ साथ अन्य आरोपों से भी घिरे हुए हैं। वहीं योगेश करारे, प्रागीलाल जाटव का विरोध करते हुए देखे जा रहे रहे हैं। दोनों के आरोप प्रत्यारोप के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। कुल मिलाकर इन दौनो क्षेत्रों में भी
पार्टी नेताओं की नाराजगी के चलते घमासान मचा हुआ है
इसके अलावा निवाड़ी समेत अन्य एक दो सीटों पर भी चुनाव प्रत्याशी बदलने को लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है। संभवतः इस बदलाव की रणनीति पर आज कल में कांग्रेस का कोई बडा फैसला सामने आ सकता है।