RTO flyers are not able to deduct challans.
नर्मदापुरम ! नर्मदापुरम में ओवरलोड गाड़ियों का भरमार होती जा रही है, लेकिन सबसे बड़ा गड़बड़झाला आटीओ के उड़नदस्ते और उनके आंकड़ों में है !
वही रोड़ पर दिनोंदिन गाड़ियों की भरमार होती जा रही है और ट्रैफिक व्यवस्था उतनी ही ढीली होती जा रही है इसी बीच नर्मदापुरम में लगातार ओवरलोड वाहनों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. सबसे ज्यादा हादसे भी ओवरलोडिंग गाड़ियों की वजह से ही होते है और वाहन चालकों और पा्रपर्टी के नुकसान का भी खतरा ओवरलोड वाहनों से भी होता है. लेकिन सबसे बड़ा गड़बड़झाला आरटीओ के उड़नदस्ते और उनके आंकड़ों में है.यहाॅ पर 05 -05 मिनिटो पर बसो को परमिट मिलना एक सवालिया निशान है ? जो कि सवारियो और राहगीरो की जान से खुला खिलवाड़ है।आंखें मूंदें बैठे आरटीओ अधिकारी दरअसल पूरे संभाग की आबादी 16 लाख से ज्यादा की आबादी वाले नगर में लगातार ट्रैफिक का दबाव बढ़ता जा रहा है, लोगा का कहना है कि ऐसे में आरटीओ परफॉर्मेंस फिसड्डी दिखाई पड़ रहा है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या आरटीओ के उड़नदस्ते सड़क पर नहीं निकलते हैं. यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि दोनों के रिजल्ट अलग-अलग है. सिर्फ रस्मआदयगी के रूप में चालान काटे
जहां नर्मदापुरम आरटीओ के उड़नदस्तों ने 1 महीने में कुछ ही चालान काटे तो वही अनन फानन में गुना बस हादसा के बाद आरटीओ ने महज कुछ ही दिनो में सैकड़ो चालान काटे कर लाखो रूपये सरकार के खाते में जमा करा दिये. यह सवाल इसलिए भी बड़ा हो जाता है कि बसो में किस प्रकार की गड़बडियाॅ सरेआम हो रही है ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि कहीं कोई सांठगांठ तो नहीं चल रही और सवाल यह भी कि क्या मुख्यालय के अफसरों को समीक्षा के दौरान गड़बड़झाला कहां तक फैला हुआ है यह समझ नही आता है ओवरलोड वाहनों के प्रदूषण से पर्यावरण पर भी असर पड़ता है. साथ ही सरकार को भी सबसे ज्यादा फटका इसी से लगता है।