भारतीय नहीं राहुल गांधी, ब्रिटेन के नागरिक हैं… इलाहाबाद HC में कांग्रेस नेता की सांसदी को चुनौती

लखनऊ
 कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस बार यूपी के रायबरेली से सांसद चुने गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उनके निवार्चन को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि राहुल गांधी भारत के बजाय ब्रिटेन के नागरिक हैं। इस आधार पर उनका निर्वाचन रद करने की मांग की गई है। इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है।

कर्नाटक के रहने वाले एस विग्‍नेश शिशिर ने यह जनहित याचिका दायर की है। इसमें उन्‍होंने मांग की है कि लोकसभा स्‍पीकर राहुल गांधी को संसद सदस्‍य के रूप में कार्य की अनुमति तब तक न दें जब तक गृह मंत्रालय की तरफ से उनकी विदेशी नागरिकता के मुद्दे का निपटारा नहीं हो जाता। याचिका में यह भी पूछा गया है कि राहुल गांधी किस कानूनी अधिकार के तहत लोकसभा सदस्‍य के रूप मे काम कर रहे हैं।

मां सोनिया गांधी की सीट रायबरेली से जीते हैं राहुल

जनहित याचिका में सूरत की एक अदालत से राहुल गांधी को दो साल की हुई सजा का भी जिक्र कर कहा गया है कि लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम के तहत वे सांसद चुने जाने के अयोग्‍य हैं। गौरतलब है कि 2019 में अमेठी से चुनाव हारने वाले राहुल गांधी इस बार रायबरेली सीट से सांसद चुने गए हैं। उन्‍होंने केरल की वायनाड सीट छोड़कर रायबरेली का जनप्रतिनिधि बने रहने का फैसला लिया है। रायबरेली से राहुल की मां सोनिया गांधी सांसद चुनी जाती रही हैं। इस बार स्‍वास्‍थ्‍य खराब होने के चलते वे चुनाव नहीं लड़ीं।

जनहित याचिका में क्वो वारंटो रिट जारी करने की भी मांग की गई, जिसमें पूछा गया कि गांधी किस कानूनी अधिकार के तहत रायबरेली लोकसभा सीट से लोकसभा के सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। इसमें सांसद के रूप में उनके कामकाज पर रोक लगाने की भी मांग की गई।

जनहित याचिका में कहा गया,

"याचिकाकर्ता क्वो वारंटो और अन्य उपयुक्त रिट की मांग कर रहा है, क्योंकि सूरत कोर्ट द्वारा दी गई सजा और दो साल की सजा के कारण राहुल गांधी को आर.पी. एक्ट 1951 की धारा 8 (3) के साथ अनुच्छेद 102 में निहित प्रावधान के मद्देनजर संसद सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए अयोग्य घोषित किया गया। इस कारण से भी कि वह भारत के नहीं बल्कि ब्रिटेन के नागरिक हैं। इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 84 (ए) में निहित प्रावधानों के मद्देनजर संसद सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए अयोग्य घोषित किया गया।"

जनहित याचिका में कहा गया कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सजा (मोदी सरनेम केस में) पर रोक लगा दी, लेकिन केवल सजा पर रोक लगाने से उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिल जाता, क्योंकि आर.पी. एक्ट की धारा 8 (3) के साथ अनुच्छेद 102 ने चुने जाने या चुने जाने के लिए अयोग्य घोषित किया। जनहित याचिका में कहा गया कि गांधी के चुनाव रद्द किया जाना चाहिए, क्योंकि वह भारत के नागरिक नहीं हैं। वह ब्रिटेन के नागरिक हैं। इसलिए सांसद चुने जाने के योग्य और पात्र नहीं हैं।

याचिका में कहा गया कि गांधी मेसर्स बैकॉप्स लिमिटेड के निदेशक हैं और कंपनी द्वारा कंपनी हाउस, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड किंगडम सरकार (ब्रिटेन) के साथ दायर दस्तावेजों में गांधी ने अपनी राष्ट्रीयता ब्रिटिश के रूप में उल्लेख की है।

जनहित याचिका में दावा किया गया,

"तथ्य यह है कि कंपनी हाउस, यूनाइटेड किंगडम, यूनाइटेड किंगडम सरकार (ब्रिटेन) के साथ दायर वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, राहुल गांधी जो 21/08/2003 से 17/02/2009 तक मेसर्स बैकॉप्स लिमिटेड नामक कंपनी के निदेशक हैं, जिसका कंपनी नंबर 04874597 है। उन्होंने 31/10/2006 को रिटर्न दाखिल किया, जिसमें उन्होंने अपनी राष्ट्रीयता ब्रिटिश के रूप में उल्लेख की।"

इसके अलावा, याचिका में दावा किया गया कि मुख्य चुनाव आयोगों और वायनाड और रायबरेली के मुख्य चुनाव अधिकारियों सहित विभिन्न अधिकारियों को कई अभ्यावेदन भेजे गए। हालांकि, ऐसे अभ्यावेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि जिस दिन गांधी ने ब्रिटिश नागरिकता हासिल की, उस दिन से वे भारत के नागरिक नहीं रहे। अगर उन्होंने 2003/2006 के बाद भारतीय नागरिकता हासिल की तो उन्हें अपने नामांकन पत्र के साथ इसे दाखिल करना चाहिए था।

याचिका में कहा गया,

"लेकिन ऐसा करने के बजाय, उन्होंने केवल खुद को भारत का नागरिक बताया, जो गलत है, क्योंकि नागरिकता अधिनियम की धारा 9 के कानून के अनुसार, राहुल गांधी ब्रिटेन की नागरिकता हासिल करने की तारीख से भारत के नागरिक नहीं रहे।"

इस मामले की सुनवाई अगले महीने होने की संभावना है।

2019 में सुप्रीम कोर्ट ने दो निजी व्यक्तियों द्वारा गांधी को ब्रिटिश नागरिकता प्राप्त करने पर 'दोहरी नागरिकता' के मुद्दे का निर्धारण होने तक 2019 के आम चुनाव लड़ने से रोकने की याचिका को खारिज कर दिया था।

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