भाजपा ने कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टी के नेताओं को मोदी के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले शब्दों का इस्तेमाल न करने की दी सलाह

नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टी के नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले शब्दों का इस्तेमाल करने से बचने का सुझाव दिया है। बीजेपी की तरफ से यह बयान 13 जुलाई को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले के संदर्भ में दिया गया है। गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के लेख का हवाला देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इस पर अपनी बातें रखी है। सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, "जुलाई 2022 में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हत्या और हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप पर हुए जानलेवा हमले से एक जरूरी बात सामने आई है। यह हमले ज्यादातर विपक्षी नेताओं के भड़काऊ भाषण के बाद हुए हैं।"

इस दौरान सुधांशु त्रिवेदी ने राहुल गांधी पर प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा भड़काने वाली भाषा और शब्दों का प्रयोग करने का आरोप भी लगाया। त्रिवेदी ने कहा, "कई कांग्रेस नेताओं के भाषणों में 'मौत' और 'कब्र खोदना' जैसे हिंसक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। राजनीति एक चीज है लेकिन हिंसा भड़काना इससे अलग है।" त्रिवेदी ने जनवरी 2022 में पीएम मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक का भी जिक्र किया, जब पीएम करीब 20 मिनट तक फ्लाईओवर पर फंसे रहे थे। उस वक्त पीएम जब एयरपोर्ट लौट रहे थे तब फिरोजपुर जिले में कुछ प्रदर्शनकारी किसानों ने उनका रास्ता रोकने की कोशिश की थी। सुधांशु त्रिवेदी ने अक्टूबर 2013 में पटना में मोदी की राजनीतिक रैली में हुए सिलसिलेवार धमाकों का भी जिक्र किया। त्रिवेदी ने कहा, "पीएम मोदी और राजनाथ सिंह रैली में मौजूद थे और उस समय दोनों के पास जेड+ स्तर की सुरक्षा थी। केंद्र में कांग्रेस सरकार की ओर से यह सुरक्षा ने बड़ी चूक थी।"

इस दौरान त्रिवेदी ने कहा कि राजनीतिक नेताओं की सुरक्षा को भाजपा ने गंभीरता से लिया है। त्रिवेदी ने कहा, "जब राहुल गांधी कश्मीर और मणिपुर गए थे, तो उनके मार्गों की जांच की गई थी और उनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया था।" त्रिवेदी ने कहा कि 2007 में सोनिया गांधी ने ही पहली बार गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ 'मौत के सौदागर' शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने कहा, "हमने आपातकाल के दौरान भी इंदिरा गांधी के खिलाफ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया था।" उन्होंने यह भी कहा कि पीएम के खिलाफ हिंसा भड़काने वाले शब्दों का इस्तेमाल न केवल गलत है, बल्कि यह खतरनाक भी है।

 

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