प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यूसीसी की जोरदार वकालत की, मुसलमानों को मंजूर नहीं UCC

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की जोरदार वकालत की है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि देश ऐसे नागरिक संहिता की ओर आगे बढ़े जो मौजूदा नागरिक संहिता की तरह सांप्रदायिक और भेदभावपूर्ण न होकर धर्मनिरपेक्ष हो। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने शनिवार को पीएम मोदी के बयान पर आपत्ति जताई है।

बोर्ड ने बयान में कहा, “बोर्ड साफ शब्दों में यह स्पष्ट करता है कि यह मुसलमानों को अस्वीकार्य है क्योंकि वे शरिया कानून (मुस्लिम पर्सनल लॉ) से कभी समझौता नहीं करेंगे।” बोर्ड के प्रवक्ता एसक्यूआर इलियास ने कहा, “प्रधानमंत्री द्वारा धर्म के आधार पर पर्सनल लॉ को सांप्रदायिक करार देने और उनकी जगह धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा पर आश्चर्य व्यक्त किया है।”

गुरुवार को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “मैं कहता हूं कि यह समय की मांग है कि देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता होनी चाहिए। हमने सांप्रदायिक नागरिक संहिता के तहत 75 साल गुजारे हैं। अब हमें धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की ओर बढ़ना होगा। तभी हमें देश में धर्म के आधार पर हो रहे भेदभाव से मुक्ति मिलेगी।”

इलियास ने कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश है जिसके गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को भाजपा सरकार द्वारा नियुक्त विधि आयोग के अध्यक्ष द्वारा की गई टिप्पणी को बरकरार रखना चाहिए। उन्होंने 2018 में स्पष्ट रूप से कहा था कि समान नागरिक संहिता न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है।

इलियास ने कहा कि बोर्ड यह उल्लेख करना महत्वपूर्ण समझता है कि भारत के मुसलमानों ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि उनके पारिवारिक कानून शरिया पर आधारित हैं, जिससे कोई भी मुसलमान किसी भी कीमत पर विचलित नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि देश के विधानमंडल ने स्वयं शरीयत आवेदन अधिनियम, 1937 को मंजूरी दी है और भारत के संविधान ने अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने, उसका प्रचार करने और उसका पालन करने को मौलिक अधिकार घोषित किया है।

उन्होंने कहा कि अन्य समुदायों के पारिवारिक कानून भी उनकी अपनी धार्मिक और प्राचीन परंपराओं पर आधारित हैं। उन्होंने कहा, “उनके साथ छेड़छाड़ करना और सभी के लिए धर्मनिरपेक्ष कानून बनाने की कोशिश करना मूल रूप से धर्म का खंडन और पश्चिम की नकल है।”

admin

Related Posts

राज्यसभा में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 44,143 करोड़ रुपये के अतिरिक्त शुद्ध नकदी की अनुपूरक मांगों को विचार करने के लिए रखा

नई दिल्ली राज्यसभा में सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 44,143 करोड़ रुपये के अतिरिक्त शुद्ध नकदी व्यय संबंधी अनुदान की अनुपूरक मांगों को विचार करने के लिए रखा। वित्त…

गोवा में जमीन हड़पने के कई मामलों में आरोपी ने हिरासत में कांस्टेबल से दोस्ती की, उसकी ही बाइक से हो गया फरार

पणजी गोवा में एक खतरनाक अपराधी पुलिस क्राइम ब्रांच की गिरफ्त से निकल भागा। यह अपराधी गोवा में जमीन हड़पने के कई मामलों में आरोपी है। भागने के लिए उसने…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

धर्म

मासिक कार्तिगाई पर घर में जलाएं दीपक, सौभाग्य और समृद्धि से घर बनेगा स्वर्ग

मासिक कार्तिगाई पर घर में  जलाएं दीपक,  सौभाग्य और समृद्धि से घर बनेगा स्वर्ग

राशिफल शुक्रवार 13 दिसम्बर 2024

राशिफल शुक्रवार 13 दिसम्बर 2024

साल की आखिरी अमावस्या के दिन कैसे करें पितरों का तर्पण

साल की आखिरी अमावस्या के दिन कैसे करें पितरों का तर्पण

इन पांच प्राणियों को खिलाएं खाना, रहेगी स्थिर लक्ष्मी

इन पांच प्राणियों को खिलाएं खाना, रहेगी स्थिर लक्ष्मी

12 दिसंबर से 3 राशियों को होगा लाभ ही लाभ

12 दिसंबर से 3 राशियों को होगा लाभ ही लाभ

गुरुवार को करें ये काम, जीवन में कभी भी दुर्भाग्य दस्तक नहीं देगा

गुरुवार को करें ये काम, जीवन में कभी भी दुर्भाग्य दस्तक नहीं देगा