ग्वालियर में एयर क्वालिटी इंडेक्स 382 पर पहुंचा , 12 घंटे के अंदर ही ग्वालियर में प्रदूषण का स्तर 200 से बढकऱ …..

ग्वालियर

 दिल्ली से होते हुए कश्मीर के साथ आई सर्द हवा अपने साथ दिल्ली का प्रदूषण भी ले आई है, इससे ग्वालियर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 382 पर पहुंच गया है, जबकि ग्वालियर में प्रदूषण पहले से ही 200 पर था, बीते 12 घंटे के अंदर ही ग्वालियर में प्रदूषण का स्तर 200 से बढकऱ सीधा 382 तक पहुंच गया है, जो कि शहरवासियों के लिए किसी भी लिहाज से सही नहीं है।

 यदि बात मध्यप्रदेश की कि जाए तो प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के समीर एप पर ग्वालियर 382 एक्यूआई के साथ प्रदेशभर में टॉप पर है, जबकि सिंगरोली 224 के साथ दूसरे और भोपाल 200 एक्यूआई के साथ तीसरे स्थान पर है। इसी तरह कटनी 186, उज्जैन 176, इंदौर व सागर 139, जबलपुर 127 एक्यूआई पर है। वहीं तेजी से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों ने भी शहरवासियों से अपील की है कि वह आसपास कचरा न जलाने दें, मास्क लगाकर रखें और जरूरत होने पर ही मास्क लगाकर घर से बाहर निकलें।

क्या होता है एक्यूआई
वातावरण में वायु प्रदूषण की मात्रा को मापने के लिए एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स का इस्तेमाल किया जाता है। एक्यूआई की वैल्यू जितनी अधिक होती है वायु प्रदूषण का स्तर उतना ही ज्यादा होता है। कई मशीन के माध्यम से हवा का सैंपल लिया जाता है और उसमे से ओजोन, पीएम 10 व 2.5, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फरडाइ ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइडल व अमोनिया की मात्रा को निकालकर एक फॉर्मूले में रखा जाता है। उससे जो वैल्यू आती है उसे एक्यूआई कहा जाता है।

शहर की हवा एकदम से बदल गई है। ग्वालियर में एक्यूआई काफी बढ़ गया है जो कि चिंताजनक है। शहरवासी इस समय अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें और मास्क पहनकर ही निकले, आसपास कचरा न जलाने दें और अधिक जरूरत होने पर ही घर से बाहर निकलें। आरआर सेंगर, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड

कई बीमारियों का खतरा
प्रदूषण का बढ़ना चिंता का विषय है। क्योंकि प्रदूषण अधिक होने से आमजन को हवा में सांस लेने से प्रदूषित हवा से श्वास संबंधी रोग, ब्रोंकाइटिस, गले का दर्द, निमोनिया, फेफड़ों का कैंसर, हदय रोग व मधुमेह सहित अन्य बीमारियों का खतरा बना रहता है।

प्रदूषण बढ़ने के कारण
दिल्ली में प्रदूषण काफी खराब होने से हवा अपने साथ दूषित हवा भी ले आई है।

शहर की जर्जर सडक़ें।

भवन सहित अन्य निर्माण कार्य।

पराली व कचरे का लगातार जलाए जाना।
सड़कों पर पानी का छिडक़ाव कम होना।

लैंडफिल साइट व बरा में लगातार आग का लगना।

बचाव के उपाय
अधिक से अधिक पौधे लगाए जाए।

सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और जलविद्युत ऊर्जा का उपयोग किया जाए।
सार्वजनिक परिवहन का उपयोग अधिक करें और वाहनों का उपयोग कम।

धूम्रपान कम से कम किया जाए।

उद्योगों से निकलने वाले धुएं को नियंत्रित किया जाए।

शहर में निर्माण कार्य कम हो या ढंककर ही करें।
शहरवासी मास्क पहनकर ही निकलें।

एक्यूआई का पैमाना
0 से 50 होने पर गुड श्रेणी

51 से 100 पर संतोषजनक

101 से 200 तक मॉडरेट

201 से 300 में पुअर श्रेणी
301 से 400 पर सीवर श्रेणी

400 से 500 पर काफी खतरनाक

 

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