‘एयरपोर्ट सरफेस फ्रिक्शन टेस्टर’ को पहली बार भारत में तैयार किया गया

इंदौर
इंदौर के देवी अहिल्याबाई होल्कर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विमानों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए पहली बार देश में पूरी तरह से स्वदेशी रूप से तैयार की गई 'फ्रिक्शन रनवे टेस्टिंग मशीन' का इस्तेमाल किया गया।

इस टेस्ट में रनवे को एयरक्राफ्ट की सुरक्षित और स्मूद लैंडिंग के लिए उपयुक्त पाया गया। विशेषज्ञों की टीम ने माना कि भारी-भरकम विमानों के संचालन के बावजूद वर्तमान में कोई खतरा नहीं है।

यह मशीन रनवे पर दौड़ते हुए विमानों की लैंडिंग के दौरान होने वाले घर्षण की जांच करती है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा यह परीक्षण शनिवार को इंदौर एयरपोर्ट पर किया गया।

देश में पहली बार बनी यह मशीन

इंदौर एयरपोर्ट प्रबंधन ने बताया कि इस 'एयरपोर्ट सरफेस फ्रिक्शन टेस्टर' (ASFT) को पहली बार भारत में तैयार किया गया है। इससे पहले यह मशीन विदेशों से मंगाई जाती थी। इस मशीन को एक कार पर इंस्टॉल किया जाता है। इसमें एक विशेष पहिया रनवे की सतह को स्पर्श करता है। कार के दौड़ने पर यह पहिया रनवे पर उपलब्ध घर्षण का डेटा मशीन तक भेजता है।

अक्सर विमानों के तेजी से उतरने पर उनके टायरों का रबर रनवे पर चिपक जाता है, जिससे रनवे की घर्षण क्षमता कम हो जाती है और फिसलन का खतरा बढ़ जाता है। यह मशीन इन सभी आंकड़ों को रिकॉर्ड करती है और उसी के आधार पर रनवे के सुधार की आवश्यकता तय की जाती है।

यह टेस्ट क्यों जरूरी है?

एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार, जब विमान लैंड करता है, तो सबसे पहले उसके टायर रनवे से टकराते हैं। रनवे की सतह सीमेंटेड होती है और इस पर कारपेट की तरह लेयर बिछाई जाती है ताकि टायर खराब न हों। यदि यह सतह खराब हो जाए तो लैंडिंग के समय झटका महसूस हो सकता है या टायर फटने की घटनाएं हो सकती हैं।

टेस्ट के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि रनवे पर किसी तरह की कोई परेशानी न हो। यदि कोई दिक्कत सामने आती है, तो सुधार कार्य किया जाता है क्योंकि यह विमानों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

25 करोड़ रुपए की लागत से रनवे मरम्मत का कार्य जारी

इंदौर एयरपोर्ट पर वर्तमान में 25 करोड़ रुपए की लागत से रनवे की मरम्मत का कार्य चल रहा है। इसके लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने सितंबर में टेंडर जारी किए थे और नवंबर में चंद्रपुर की श्रीसाईं कंस्ट्रक्शन कंपनी को यह कार्य सौंपा गया। इस कार्य के अंतर्गत रनवे की पुरानी डामर परत को हटाकर लगभग 8 इंच मोटी नई परत बिछाई जा रही है।

यह कार्य प्रतिदिन रात के समय किया जा रहा है, जिसके चलते रात की उड़ानों का संचालन नहीं हो रहा। अथॉरिटी द्वारा 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर तक रात 10:30 बजे से सुबह 6:30 बजे तक रनवे क्लोजर का आदेश जारी किया गया है।

बड़े विमानों की लैंडिंग अब आसान

इंदौर एयरपोर्ट पर अब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नए बोइंग 777 जैसे बड़े विमान आसानी से उतर सकते हैं। साल 2022 में रनवे के टर्नपैड की चौड़ाई बढ़ाकर इसे संभव बनाया गया। दरअसल, 31 अगस्त 2021 को पीएम का विमान प्रैक्टिस फ्लाइट के तौर पर इंदौर आया था, लेकिन रनवे पर टर्नपैड की कम चौड़ाई के कारण बिना उतरे लौट गया था।

इसके बाद टर्नपैड की चौड़ाई चार मीटर तक बढ़ाई गई, जिससे अब बोइंग 777 विमान आसानी से उतर सकते हैं।

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