महज दो घंटे में मुंबई से दुबई तक का होगा सफर, समंदर के नीचे दौड़ेगी ट्रेन, स्पीड जानकर उड़ जाएंगे होश

नई दिल्‍ली
 मुंबई और दुबई के बीच पानी के नीचे चलने वाली ट्रेन का प्लान है। यह ट्रेन दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय बहुत कम कर देगी। संयुक्‍त अरब अमीरात (UAE) का नेशनल एडवाइजर ब्यूरो इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। अगर सब ठीक रहा तो 2030 तक यह ट्रेन शुरू हो सकती है। इससे मुंबई और दुबई के बीच 2,000 किलोमीटर की दूरी सिर्फ 2 घंटे में तय की जा सकेगी। यह बुलेट ट्रेन से भी तेज होगी और पानी के अंदर चलेगी।

अब इस प्रोजेक्ट के बारे में थोड़ा विस्तार से जानते हैं। मुंबई और दुबई के बीच अभी हवाई जहाज से यात्रा करने में काफी समय लगता है। लेकिन, पानी के नीचे चलने वाली ट्रेन बन जाती है तो यह समय बहुत कम हो जाएगा। इकनॉमिक टाइम्‍स की रिपोर्ट के अनुसार, इस ट्रेन की स्पीड बहुत ज्यादा होगी। यह ट्रेन 600 से 1,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी।

एक साल पहले शुरू हुआ था प्रोजेक्‍ट

यह प्रोजेक्ट कुछ साल पहले शुरू हुआ था। लेकिन, अभी तक इसे पूरी तरह से मंजूरी नहीं मिली है। इस ट्रेन से सिर्फ लोग ही नहीं, बल्कि सामान भी ले जाया जा सकेगा। इसमें कच्चा तेल (क्रूड) भी शामिल है। इस ट्रेन में सफर करने वाले लोग पानी के अंदर की दुनिया को भी देख सकेंगे।

नेशनल एडवाइजर ब्यूरो का दावा है कि उन्होंने एक वीडियो भी बनाया है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि ट्रेन बनने के बाद कैसी दिखेगी। वीडियो को YouTube पर अपलोड किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट में बहुत ज्यादा पैसा लगेगा। यह अरबों डॉलर का प्रोजेक्ट है।

क्या है अंडरवाटर रेल प्रोजेक्ट

नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड ने इस प्रोजेक्ट का आइडिया 6 साल पहले यूएई-इंडिया कॉन्क्लेव अबू-धाबी में दिया था. अब्दु्ल्ला शेही ने इस प्रोजेक्ट की जो रूपरेखा खीची है उसके अनुसार इस प्रोजेक्ट में अल्ट्रा-स्पीड फ्लोटिंग ट्रेनों के माध्यम से भारत के मुंबई को दुबई के फुजैराह से जोड़ने की योजना है.

इस परियोजना का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना है. फुजैराह बंदरगाह से भारत को तेल का निर्यात होगा और मुंबई के उत्तर में नर्मदा नदी से अतिरिक्त पानी को दुबई लाया जाएगा.  इसके अलावा इस रूट पर ट्रेनें चलेंगी जिससे यात्री भी मुंबई से दुबई और दुबई से मुंबई आ जा सकेंगे.

अब्दुल्ला अल शेही के अनुसार अगर ये प्रोजेक्ट सफल होता है तो कई अन्य रुट पर विचार किया जा सकता है. और इसके दायरे में पाकिस्तान, बांग्लादेश के शहर भी आएंगे. अल शेही ने कहा कि हम इस क्षेत्र के लगभग 1.5 अरब लोगों के बारे में बात कर रहे हैं. उनके लिए विमान के बजाय ट्रेन का उपयोग करना आसान होगा.

समंदर के अंदर से होकर गुजरने वाले इस रेल रूट की लंबाई लगभग 2000 किलोमीटर होगी. और इसकी गति 600 किलोमीटर प्रति घंटे से लेकर 1000 किलोमीटर प्रति घंटे तक होगी.  

अल शेही के अनुसार, ट्रेन को इलेक्ट्रोमैग्नेट का उपयोग करके टनल में उठा दिया जाएगा. इसे मैग्लेव तकनीक के रूप में जाना जाता है, जो ट्रेन को 1,000 किमी प्रति घंटे की गति तक पहुंचाएगा. इस तरह से दुबई से मुंबई तक की यात्रा मात्र 2 घंटे में पूरी हो सकेगी. अभी विमान से इस सफर को पूरा करने में 2-3 घंटे का समय लगता है.

बता दें कि मैग्लैव तकनीक का इस्तेमाल कर ही जापान और चीन में बुलेट ट्रेनें चलती हैं. यह तकनीक ट्रेन को चुंबकीय बल से हवा में उठाकर घर्षण कम करती है, जिससे 1,000 किमी/घंटे तक की रफ्तार संभव होती है.

उन्होंने कहा कि ट्रेन कंक्रीट सुरंगों से होकर गुजरेगी जो अरब सागर की सतह से 20-30 मीटर नीचे डूबी होंगी. इन सुरंगों को स्थिरता प्रदान करने के लिए एंकर किया जाएगा.

नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अल शेही का मानना है कि इस परियोजना के साथ, UAE यात्रियों और माल दोनों के लिए अरब की खाड़ी में भारत का प्रवेश द्वार बन जाएगा, और यह यूएई की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए एक रणनीतिक बदलाव होगा.

क्रांतकारी विचारों के लिए जाना जाता है नेशनल एडवाइजर ब्यूरो

बता दें कि नेशनल एडवाइजर ब्यूरो लिमिटेड एक स्टार्ट अप और बड़े बिजनेस घरानों के लिए काम करने वाला एक सलाहकार फर्म है. दुबई की पानी की समस्या को खत्म करने के लिए इस कंपनी ने अंटार्कटिका से हिमखंड (आइसबर्ग) को खींचकर दुबई के समंदर तक लाने का क्रांतिकारी विचार दिया है. फिर इस आइसबर्ग से पीने योग्य पानी बनाने का विचार पेश किया गया है.

क्या दुनिया में चल रही है ऐसी ट्रेंने

चैनल टनल (यूके-फ्रांस) इसका सबसे मशहूर उदाहरण है. जो इंग्लैंड और फ्रांस को जोड़ता है. यह 50.45 किलोमीटर लंबी सुरंग 1994 में खुली थी. इसकी गहराई 75 मीटर तक है. इसमें यूरोस्टार ट्रेनें 160 किमी/घंटे की रफ्तार से चलती हैं.

भारत ने हाल ही में शुरू किया है अंडरवाटर मेट्रो

बता दें कि भारत ने भी हाल ही में अंडरवाटर मेट्रो के सफल संचालन में कामयाबी पाई है. इसे एक साल पहले देश में शुरू किया गया है. यह 520 मीटर लंबी सुरंग है, जो हावड़ा और कोलकाता को जोड़ती है. अंडरवॉटर मेट्रो सर्विस कोलकाता मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड सेक्शन का हिस्सा है. यह देश की पहली अंडरग्राउंड मेट्रो टनल है, जो हुगली नदी के दोनों छोर पर बसे दो शहरों को जोड़ेगी. इसके लिए 3.8 किलोमीटर की दो अंडरग्राउंड टनल तैयार की गई हैं, जिसमें 520 मीटर का हिस्सा पानी के नीचे है. इसे 45 सेकेंड में क्रॉस किया जाता है.

हालांकि, मुंबई-दुबई प्रोजेक्ट की विशाल दूरी (2,000 किमी) और गहरे समुद्र में निर्माण इसे दुनिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा और जटिल प्रोजेक्ट बनाता है.

दुनिया में दुबई-मुंबई अंडरवाटर रेल प्रोजेक्ट जैसे कई मिशन पर काम हो रहा है. चीन की योजना समंदर के जरिये रूस और कनाडा को जोड़ने की है.

खर्च का अनुमान

इस प्रोजेक्ट की लागत का सटीक अनुमान लगाना अभी मुश्किल है क्योंकि यह योजना प्रारंभिक चरण में है. लेकिन चैनल टनल (यूके-फ्रांस) के बनने में लगे खर्चे के आधार पर इसका अनुमान लगाया जा सकता है. चैनल टनल की लागत 1994 में लगभग 21 बिलियन डॉलर (आज की कीमत में) थी. ध्यान रहे कि ये खर्च सिर्फ 50 किलोमीटर के लिए थी. इस लिहाज से मुंबई-दुबई की 2,000 किमी की दूरी को देखते हुए इस प्रोजेक्ट पर खरबों डॉलर का खर्च आ सकता है.

हालांकि समंदर में होने की वजह से जमीन अधिग्रहण जैसी दिक्कतें सामने नहीं आएंगे, लेकिन समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र के बिगड़ने का खतरा एक बड़ी चुनौती होगी.

मुंबई से दुबई अंडरवाटर रेल प्रोजेक्ट अभी एक सपने की तरह है, लेकिन अगर यह हकीकत बना तो यह परिवहन और व्यापार की दुनिया में क्रांति कर देगा. और दुनिया में समुद्र को मनुष्यों के आवागमन को सुगम, सुलभ और रोमांचक जरिया बना देगा.  दुनिया में छोटे पैमाने पर ऐसे प्रोजेक्ट काम हो रहे हैं लेकिन दुबई-मुबई प्रोजेक्ट की विशालता ही इसे अनोखा और चुनौतीपूर्ण बनाती है.

क्‍या-क्‍या होंगे फायदा?

इस प्रोजेक्ट के कई फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि यात्रा का समय बहुत कम हो जाएगा। दूसरा फायदा यह है कि सामान को आसानी से ले जाया जा सकेगा। तीसरा फायदा यह है कि लोग पानी के अंदर की दुनिया को देख सकेंगे।

हालांकि, इस प्रोजेक्ट को अभी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। सबसे बड़ी चुनौती पैसे की है। इस प्रोजेक्ट में बहुत ज्यादा पैसा लगेगा। दूसरी चुनौती तकनीकी है। पानी के अंदर इतनी तेज रफ्तार से ट्रेन चलाना आसान नहीं है। तीसरी चुनौती सुरक्षा की है। ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा।

लेकिन, अगर यह प्रोजेक्ट सफल हो जाता है तो यह भारत और यूएई के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा। यह रेल नेटवर्क हवाई यात्रा का एक विकल्प होगा और भारत और यूएई के बीच कच्चे तेल सहित वस्तुओं के परिवहन को भी सुगम बनाएगा।

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