वरूथिनी एकादशी पर इन मुहूर्त में करें पूजा

कल गुरुवार के दिन वरूथिनी एकादशी का व्रत रखा अजाएगा। गुरुवार के दिन एकादशी पड़ने से इस दिन का महत्व काफी बढ़ गया है। वरूथिनी एकादशी वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनायी जाएगी। पंचांग व उदया तिथि के अनुसार, 23 अप्रैल को शाम 04:43 बजे एकादशी तिथि शुरू होगी व 24 अप्रैल को दोपहर 02:32 बजे तक समाप्त होगी। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार, वरूथिनी एकादशी का व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है व मनोकामना पूर्ति होती है। आइए जानते हैं वरूथिनी एकादशी पर पूजन के शुभ मुहूर्त, भोग, विधि मंत्र व व्रत पारण समय-

शुभ योग व नक्षत्र: इस दिन शतभिषा नक्षत्र सुबह 10:49 तक रहेगा, जिसके बाद पूर्व भाद्रपद नक्षत्र शुरू होगा। ब्रह्म योग दोपहर 03:56 बजे तक रहेगा, जिसके बाद इन्द्र योग का निर्माण होगा।

सुबह से लेकर शाम तक वरूथिनी एकादशी पर इन मुहूर्त में करें पूजा

    शुभ – उत्तम 05:47 से 07:25
    चर – सामान्य 10:41 से 12:19
    लाभ – उन्नति 12:19 से 13:58
    अमृत – सर्वोत्तम 13:58 से 15:36
    शुभ – उत्तम 17:14 से 18:52
    अमृत – सर्वोत्तम 18:52 से 20:14
    चर – सामान्य 20:14 से 21:36
    ब्रह्म मुहूर्त 04:19 से 05:03
    प्रातः सन्ध्या 04:41 से 05:47
    अभिजित मुहूर्त 11:53 से 12:46
    विजय मुहूर्त 14:30 से 15:23
    गोधूलि मुहूर्त 18:51 से 19:13
    अमृत काल 01:32, अप्रैल 25 से 03:00, अप्रैल 25

व्रत पारण मुहूर्त: 25 अप्रैल को, पारण समय सुबह 05:46 से 08:23 बजे तक। इस दिन सुबह 11:44 बजे द्वादशी समाप्त हो जाएगी।

पूजा-विधि

स्नान आदि कर मंदिर की सफाई करें

भगवान श्विष्णु का जलाभिषेक करें

प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें

अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें

मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें

संभव हो तो व्रत रखें और व्रत का संकल्प करें

वरूथिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें

पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें

प्रभु को तुलसी दल सहित भोग लगाएं

अंत में क्षमा प्रार्थना करें

भोग- केला, गुड़, चने की दाल, किशमिश, केसर की खीर, पंचामृत, फल, मेवा

मंत्र- ॐ नमोः नारायणाय नमः, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

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