वर्तमान मे मे ई डी प्रमुख संजय मिश्रा को बार बार सेवा विस्तार को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अवैध करार दिया है तथा 15 सितम्बर तक पद पर बने रहने कि अनुमति प्रदान की है, जाहिर है सरकार अपने भरोसेमंद अधिकारियो को अपना उल्लू सीधा करने हेतु अपने साथ रखना चाहती है इसीलिए चाहे संजय मिश्रा हो, अजय भल्ला हो या राजीव गाबा सभी को बार बार सेवा विस्तार करने मे सरकार गुरेज़ नहीं कर रही,
विपक्ष का हमेशा यह आरोप रहा है कि सरकार के कृपापात्र अधिकारी विपक्षी नेताओं को निशाना बना कर देश मे विपक्ष के लिए नकारात्मक माहौल बनाने मे अहम भूमिका निभाते रहते है जिसकी बानगी गैर भा ज पा शाषित राज्यों मे देखने को मिलती रहती है,
एक तरफ जहाँ अडानी या ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट तथा अन्य भ्रस्टाचारों पर जांच एजेंसियां आंखे मूंदे रहती हैं वही विपक्ष के मुद्दे पर चौबीसों घंटों नज़रें जमाए रहती हैं,
सूत्रों की माने तो 18 सितम्बर के शुरू होने वाले विशेष सत्र मे नये सी आई ओ की नियुक्ति हो सकती है,
ऐसा नही है की देश मे काबिल अफसरों की कमी है लेकिन हर अफसर सरकार का कृपापात्र तो नहीं हो सकता।
बहरहाल अगर ऐसा होता है तो प्रवर्तन निदेशालय जो मनी लौंड्रिग, फेमा जैसे मामलो और सी बी आई जो भ्रस्टाचार एवं अन्य मामलो की जांच करती है उनके प्रमुख नव सृजीत सी आई ओ को रिपोर्ट करेंगे और सी आई ओ सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय को, अब संसद के विशेष सत्र का इंतज़ार है जहाँ आने वाले 4 राज्यों के चुनावों का भविष्य भी तय होना है देश मे वन नेशन इलेक्शन की चर्चा जोरों पर है अब देश की निगाहें संसद के विशेष सत्र पर रहेंगी