Rasal Singh has left the BJP and joined the BSP.
टिकट ना मिलने से नाराजगी के चलते छोड़ी थी पार्टी।
बसपा के टिकट पर लहार विधानसभा में ठोकी ताल।
संतोष सिंह तोमर
भोपाल / भिंड। भारतीय जनता पार्टी से टिकट कटने से नाराज हुए भिंड जिले के कद्दावर नेता रसाल सिंह ने आखिरकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया। बसपा ने भी रसाल सिंह के सदस्यता ग्रहण करते ही उन्हें लहार विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित करने में देर नहीं लगाई। बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में ताल ठोक कर रसाल सिंह ने इस क्षेत्र में फिलहाल भाजपा और कांग्रेस दौनो ही पार्टियों के खेमों में उथल पुथल मचा दी है।
कांग्रेस पार्टी ने जहां इस बार भी लगभग चार दसक से अपराजित विधायक और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को ही टिकट दिया है। कांग्रेस के अभेद किले के रूप में जानी जाने वाली इस लहार विधानसभा क्षेत्र में जहां कांग्रेस अपनी जीत सुनिश्चित मानकर चल रही है। वहीं भाजपा ने इस बार ब्राह्मण समाज के युवा नेता अम्बरीष शर्मा (गुड्डू) को चुनाव मैदान में उतार दिया है, दरअसल भाजपा यहां ब्राह्मण समाज के युवा नेता अम्बरीष शर्मा पर दांव खेलकर ब्राह्मण वोट पर कब्जा कर कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण वोट भी बड़ी तादाद में है, साथ ही पिछड़े वर्ग में रसाल सिंह की पकड़ ठीक ठाक रही है लेकिन रसाल सिंह डॉ. गोविंद से पिछले चुनावों में शिकस्त खाते रहे हैं। इसी के चलते भाजपा ने इस बार ब्राह्मण समाज के नेता को टिकट देकर मैदान में उतारा था। टिकट काटकर अम्बरीष शर्मा (गुड्डू) को दिए जाने से रसाल सिंह नाराज हो गए और पार्टी के बड़े नेताओं के सामने टिकट काटने पर विरोध दर्ज कराया लेकिन पार्टी ने उन्हें दो टूक कह दिया कि आप पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं, इसबार पार्टी ने जो प्रत्याशी घोषित किया है उसे जिताने के लिए उसके पक्ष में आप पार्टी का प्रचार करें। टिकट कटने के बाद रसाल सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया लेकिन भाजपा का निर्णय नहीं बदला। पार्टी से इस्तीफा देने के 24 घंटे के अंदर ही रसाल सिंह ने बहुजन समाज पार्टी का का झंडा थाम लिया और बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने का शंखनाद कर दिया।
कद्दावर नेता रसाल सिंह के चुनाव मैदान में उतरते ही इस विधानसभा का चुनावी मुकाबला अब त्रिकोणीय हो गया है। अब देखना यह है कि क्या इस त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस के दिग्गज नेता अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रख पाएंगे या फिर भारतीय जनता पार्टी का युवा ब्राह्मण चेहरे के रुप में अम्बरीष शर्मा (गुड्डू) पर खेल दांव कामयाब होगा, या इन दोनों पार्टियों के चुनावी समीकरण को बिगाड़ने के लिए बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी बनकर चुनाव मैदान में उतरे रसाल सिंह इन दोनों पार्टियों को पीछे छोड़कर विधायक की कुर्सी अपने नाम करेंगे। इस त्रिकोणीय मुकाबले को लेकर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। इस बार के विधानसभा चुनाव में मतदाता इन तीनों में से किसके पक्ष में मतदान करेंगे इसका निर्णय तो मतदाता ही करेंगे और निर्णय किसके पक्ष में आएगा ये कहना बहुत मुश्किल है।