कांग्रेस के गले की फांस बना प्रत्याशियों का बदलाव।

The Congress witnessed a change in candidates like a noose around its neck.

चुनाव प्रत्याशी बदलने के बाद भी नहीं थम रहा कांग्रेस पार्टी में घमासान। सुबह बदला टिकट, शाम को बसपा ने बनाया कुलदीप को चुनाव प्रत्याशी।

संतोष सिंह तोमर

भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव टिकट वितरण में हुई उठा – पटक के बाद फैले विद्रोह को शांत करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने बड़ा फैसला लेते हुए चार सीटों पर पहले उतारे गए उम्मीदवारों को बदल कर विद्रोह करने वालें दिग्गज नेताओं को अपना प्रत्याशी बना दिया है, लेकिन अब यह बदलाव भी कांग्रेस पार्टी के गले की फांस बनता दिखाई दे रहा है।  कांग्रेस ने जिन चार सीटों पर उम्मीदवारों को बदला है, उनमें मुरैना जिले की सुमावली, नर्मदापुरम जिले की पिपरिया उज्जैन जिले की बड़नगर और रतलाम जिले की जावरा विधानसभा सीटें शामिल हैं। इस बदलाव में दो विधायकों को फिर से टिकट दिया गया है, जबकि कांग्रेस ने पहले इन विधायकों का टिकट काट दिया था। टिकट बदलने से नाराज सुमावली प्रत्याशी कुलदीप सिंह के समर्थकों द्वारा कांग्रेस नेताओं का पुतला और झंडों की होली जलाकर आक्रोश प्रदर्शित किया और शाम को कुलदीप सिंह ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया।

कांग्रेस ने बागी विधायकों के सामने घुटने टेके
आखिरकार कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अपनी मनमर्जी के आधार पर टिकट बांट तो दिए थे लेकिन जब नाराज नेताओं ने बगावती तेवर दिखाए तो पार्टी ने बागी विधायकों व नेताओं के सामने घुटने टेक दिए। जिन सीटों पर प्रत्याशी बदले हैं उनमें दो विधायकों को फिर से टिकट दिया है। पार्टी ने सुमावली विधानसभा सीट पर विधायक अजब सिंह कुशवाहा को फिर से प्रत्याशी बनाया है, पहले अजब सिंह का टिकट काट दिया गया था। जिसके बाद अजब सिंह ने विरोध करते हुए अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़कर बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया था और बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें फिर से मौका दे दिया है। इसी तरह से उज्जैन जिले की बड़नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने विधायक मुरली मोरवाल को फिर से प्रत्याशी बनाया है। जबकि चुनाव प्रत्याशियों की दूसरी सूची में कांग्रेस पार्टी ने यहां से राजेंद्र सिंह सोलंकी को मैदान में उतारा था। जिसके बाद से विधायक मुरली मोरवाल और उनके समर्थकों ने पार्टी से बगावत कर दी थी। इतना ही नहीं मुरली मोरवाल ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने की स्पष्ट घोषणा कर दी थी। ऐसे में पार्टी ने टिकट देकर एक तरह से बगावत को रोकने की कोशिश की है।
          इसके साथ ही पिपरिया विधानसभा सीट पर भी बदलाव करते हुए कांग्रेस पार्टी ने वीरेंद्र रघुवंशी को चुनाव प्रत्याशी घोषित कर दिया है। जबकि पहले यहां से गुरु चरण खरे को प्रत्याशी घोषित किया गया था और उन्होंने अपने समर्थकों के साथ चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया था। इधर यही हाल जावरा विधानसभा सीट का भी हुआ है। यहां से कांग्रेस नेतृत्व ने पहले हिम्मत श्रीमाल को टिकट देकर चुनावी समर का बिगुल बजा दिया लेकिन यहां भी वही विरोध के स्वर उठने लगे जिनका सामना पार्टी नेतृत्व को अन्य सीटों पर भी करना पड़ रहा था। विरोध के चलते बड़ा नुकसान होने की आशंका को समझते हुए कांग्रेस पार्टी ने यहां भी चुनाव प्रत्याशी बदलने की अधिकृत घोषणा कर दी। अब इस सीट पर वीरेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट थमाया गया है और हिम्मत श्रीमाल को चुनावी समर से बाहर कर दिया गया है।

सात प्रत्याशी बदले, दो सीटों पर अभी भी फंसा पेंच
शीर्ष नेतृत्व की मनमानी के आधार पर हुए टिकट वितरण के बाद उठी बगावत के चलते कांग्रेस को अब तक सात सीटों पर प्रत्याशी बदलने पड़े हैं। पार्टी ने दूसरी सूची में तीन सीटों गोटेगांव, दतिया और पिछोर में प्रत्याशी बदले थे। जबकि अब सुमावली, पिपरिया, बड़नगर और जावरा में प्रत्याशी बदले हैं। मतलब पार्टी ने अब तक सात सीटों पर प्रत्याशी बदले हैं। जबकि पार्टी मंडला जिले की निवास सीट पर प्रत्याशियों की अदला बदली पहले ही कर चुकी है।
इतनी सब उठा – पटक करने के बाद भी खास बात यह है कि कांग्रेस की समस्या अभी भी पूरी तरह से दूरी होती नजर नहीं आ रही है। पार्टी ने भले ही सात सीटों पर प्रत्याशी बदल दिए हैं, लेकिन अभी भी आमला और शिवपुरी विधानसभा सीट पर पेंच फंसा हुआ है। डिप्टी कलेक्टर रही निशा बांगरे का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद वह इस सीट से टिकट की मांग कर रही है, जबकि कांग्रेस यहां से मनोज मालवे को मैदान में उतार चुकी है, ऐसे में कांग्रेस यहां भी फंसी नजर आ रही है। क्योंकि निशा बांगरे ने कांग्रेस नेताओं से बातचीत कर पहले ही तय कर लिया था कि वो त्यागपत्र स्वीकार होने के बाद आमला से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगी। जिसके लिए निशा बांगरे ने नौकरी से इस्तीफा देने के बाद राज्य शासन द्वारा स्वीकार ना किए जाने पर सरकार के खिलाफ सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक बड़ी लड़ाई लड़ी है। इधर शिवपुरी में कांग्रेस ने सीनियर विधायक केपी सिंह को टिकट दिया है, जबकि केपी सिंह अपनी परंपरागत पिछोर सीट से ही चुनाव लड़ते रहे हैं। पिछोर सीट पर पहले केपी सिंह के भांजे शैलेन्द्र सिंह को टिकट दिया था लेकिन बाद में रूठों को मनाने के चक्कर यहां भी प्रत्याशी बदल दिया था। अब शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में भी बाहरी प्रत्याशी को लेकर माहौल गरमाया हुआ है जिससे यहां भी मामला फंसा हुआ है।

बगावत पर विराम लगाने के चक्कर में लेने के देने पड़े
कांग्रेस पार्टी ने टिकट बटवारे के बाद नेताओं और विधायकों की नाराजगी और बगावत पर विराम लगाने के लिए पार्टी ने बड़ा फैंसला लेते हुए एक साथ चार विधानसभाओं में पूर्व घोषित प्रत्याशियों को बदल तो दिया लेकिन बगावत पर विराम लगाने का यह फार्मूला कांग्रेस के लिए दौहरा खतरनाक साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है। दरअसल जब पार्टी ने इन सीटों पर प्रत्याशियों के नामों की अधिकृत घोषणा कर दी तो घोषित प्रत्याशियों ने अपने अपने क्षेत्रों में चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया था। अब पार्टी ने रूठों को मनाने के चक्कर में टिकट बदलकर उन प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को नाराज कर दिया है जिनका टिकट बदल दिया है। बगावत पर विराम लगाने के चक्कर में किए गए बदलाव के कारण कांग्रेस को लेने के देने पड़ गए हैं। जिसकी शुरुआत सुमावली विधानसभा सीट पर कुलदीप सिंह सिकरवार का टिकट बदलकर वर्तमान विधायक अजबसिंह को देने की खबर सामने आते ही हो गई है। यहां कुलदीप सिंह का टिकट बदलने से क्षत्रीय समाज में रोष है। जिसके चलते अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के झंडे के नीचे लामबन्द हुए क्षत्रीय समाज के लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस पार्टी को अंचल की सभी क्षत्रीय बाहुल्य सीटों पर करारा जवाब देने की घोषणा कर दी है। कमोवेश यही स्थिति प्रत्याशियों के बदलाव होने वाली सभी सीटों पर नजर आ रही है। अब देखना यह है कि कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व रूठों को मनाने के चक्कर में इस कदर उलझ चुका है की क्या करे कुछ समझ नहीं पा रहा है। अब पार्टी कि स्थिति इधर कुआ और उधर खाई वाली हो गई है। जिसमें दोनों ही तरफ गर्त ही नजर आ रहा है।

सुमावली में बजा बगावती बिगुल
सुमावली विधानसभा प्रत्याशी कुलदीप सिंह सिकरवार का टिकट काटकर अजबसिंह की खबर जब कुलदीप सिंह के समर्थकों तक पहुंची तो उनकी खुशी मायूसी में बदल गई। इसके बाद उनके समर्थक उनके निवास पर एकत्रित हुए। यहां पर उन्होंने अपना विरोध प्रदर्शन करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ व दिग्विजय सिंह का पुतला दहन किया और कांग्रेस पार्टी के झंडों को इकट्ठा करके जलाकर अपना आक्रोश प्रदर्शित किया। इससे भी बड़ी मुसीबत कांग्रेस पार्टी के शाम को तब खड़ी हो गई जब कुलदीप सिंह सिकरवार ने बहुजन समाज पार्टी का झंडा थामकर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
          इस दौरान कांग्रेस नेता कुलदीप सिकरवार ने कहा कि सर्वे में मेरा नाम टॉप पर आने की वजह से कांग्रेस हाईकमान ने मुझे टिकट दिया था। मुझे टिकट दिया तो अब काटा क्यों गया है। कांग्रेस पहले टिकट देकर प्रचार करवाती है। मैंने क्षेत्र में चार-पांच दिन प्रचार कर लिया, अब मेरा टिकट काट दिया गया। यह कांग्रेस की धोखेबाजी है। कांग्रेस ने सिर्फ मेरा ही अपमान नहीं किया है, वल्कि यह सर्व समाज का अपमान है। इसका खामियाजा उसे जिले की सभी 6 सीटों पर भुगतान पड़ेगा। उन्होंने कांग्रेस से घोषित प्रत्याशी पर जुबानी हमला बोलते हुए कहा कि कमलनाथ ने ऐसे व्यक्ति मेरी जगह टिकट दिया  है, जो कांग्रेस का सदस्य तक नहीं है। विधायक अजब सिंह ने कुछ दिन पहले ही कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीएसपी की सदस्यता ली है। उन्होंने अभी बसपा छोड़ी नहीं है, फिर भी कमलनाथ ने उनको टिकट दे दिया। यह बहुत ही गलत है। इसका परिणाम कांग्रेस पार्टी को जिले की सभी सीटों पर भुगतना पड़ेगा।


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