निर्वाचन आयोग के शांतिपूर्ण चुनाव कराने के दावों की खुली पोल.

Open scrutiny of the claims to conduct peaceful elections by the Election Commission.

आचार संहिता पर उठे सवाल, चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था हुई तार-तार, मप्र में लगभग दो दर्जन से अधिक स्थानों पर भड़की हिंसा. प्रदेश के मालवा-निमाड़ में मारपीट के साथ चली तलवारें, ग्वालियर-चंबल में जमकर फायरिंग-मारपीट, पत्थरबाजी, बुंदेलखंड में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थक को भाजपा समर्थकों ने उतारा मौत के घाट

Sahara Samachaar;

Udit Narayan
भोपाल
। मप्र विधानसभा चुनाव 2023 का चुनाव िहंसा, मारपीट, फायरिंग के नाम से जाना जाएगा। यह हिंसक घटनाएं अब चुनावी इितहास बन गई हैं। 25 दिनों तक चले चुनावी कार्यक्रम को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा किए गए सुरक्षा व्यवस्था के दावों का गुब्बारा 17 नवंबर को उस समय फूट गया, जब सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए तेजी से वायरल दर्जनों हिंसक घटनाओं की खबरें सामने आई थी। बारी-बारी से आई इन घटनाओं ने दिनभर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। चुनाव आयोग ने खूब दावे किए कि प्रदेश की 230 विधानसभाओं में शांतिपूर्ण चुनाव कराएंगे, लेकिन 17 तारीख को मतदान के दिन इन दावों की पोल खुल गई। जबकि, मध्य प्रदेश में निर्वाचन आयोग ने शांतिपूर्ण मतदान के लिए ढाई लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए थे।

प्रदेश के विभिन्न अंचलों में लगभग दो दर्जन से अधिक स्थानों पर हिंसा भड़की, लात-घूसों और डंडों से मारपीट के साथ ही म्यान में बंद खून की प्यासी तलवारें भी निकलीं। जिसने कई लोगों की जान का आफत में डाल दिया। वहीं इससे भी बड़ी घटना बुंदेलखंड के छतरपुर जिले की विधानसभा राजनगर में हुई। जहां कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी के समर्थक को भाजपा प्रत्याशी के समर्थकों ने मौत के घाट उतार दिया। हालांकि किसी की जान जाने के बाद पुलिस ने डेढ़ दर्जन लोगों पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया। इस चुनाव मतदान का 17 नवंबर 2023 वाला ‘शुक्रवार’ सैकड़ों लोगों को पांच साल नहीं, बल्िक जिंदगी भर रूलाएगा।
बता दें चुनाव आयोग ने 230 विधानसभा सीटों के लिए करीब 65 हजार मतदान केंद्र बनाए। सुरक्षा के साये में शांतिपूर्ण चुनाव कराने करीब 4 लाख कर्मियों की ड‍यूटी लगाई गई थी। इनमें ढाई लाख सुरक्षाकर्मी शामिल थे, बावजूद प्रदेशभर में िहंसा ने भयानक रूप धारण कर लिया। इससे सवाल उठता है कि यह चुनाव आयोग की लापरवाही का नतीजा नहीं तो और क्या है?

दरअसल, मप्र के चुनाव आयोग ने तय चुनावी रस्म अदायगी वाली तैयारियों के साथ चुनाव के कार्यक्रमों का ऐलान कर दिया। 17 नवंबर को मतदान होने के बाद 3 दिसंबर को आने वाले परिणामों की ओर लोगों की नजरें टिकी हैं । चुनाव आयोग ने 230 विधानसभा सीटों के लिए करीब 65 हजार मतदान केंद्र बनाए गए थे। इनमें 25 फीसदी संवेदनशील केंद्र चिन्िहत किए गए थे। ऐसे संवेदनशील केंद्रों पर सेंट्रल फोर्स के साथ ही प्रदेश की पुलिस लगाई गई थी। मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे, माइक्रो ऑब्जर्वर और पेट्रोलिंग कराई गई। प्रदेश के सबसे ज्यादा हथियार चलाने वाले भिंड, मुरैना जिले में अतिरिक्त पुलिस बल लगाया गया था। यहां पुलिस को सुरक्षा के सख्त निर्देश थे। प्रदेश के मुख्य चुनाव आयुक्त अनुपम राजन ने बताया कि प्रदेश में भयमुक्त और निष्पक्ष चुनाव 2 लाख लोगों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की। 2 लाख 85 हजार लाइसेंसी हथियारों को थानों पर जब्त किया गया था।

छतरपुर में कांग्रेस समर्थक की हत्या :
छतरपुर जिले के राजनगर विधानसभा क्षेत्र में एक कांग्रेस समर्थक को भाजपा के समर्थकों ने मौत मौत के घाट उतार दिया था। भिंड के मेहगांव क्षेत्र के मनहद गांव में मतदान केंद्र के बाहर पथराव होने से भाजपा प्रत्याशी राकेश शुक्ला घायल हो गए हैं। राकेश को मामूली चोटें आई हैं। मेहगांव विधानसभा क्षेत्र में अज्ञात लोगों की गोलीबारी में भाजपा उम्मीदवार और आप समर्थक घायल हो गए हैं। इंदौर में दो गुटों में झड़प हुई। महू में मतदान के दौरान तलवारें चली, जिसमें दो लोग घायल हो गए। इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी िहंसक घटनाएं घटित हुईं। यह सब घटनाएं पुलिस की नाकामी की ओर इशारा करती है। यह घटनाएं निर्वाचन आयोग की लापरवाही की पोल खोलने के लिए काफी है।

चुनावी मैदान में उतरे थे 2533 उम्मीदवार :
इस बार एमपी के चुनाव में 2,533 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इसमें 2,280 पुरुष और 252 महिलाएं हैं। एक प्रत्याशी थर्ड जेंडर का है। भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। जबकि, बसपा ने 181, सपा ने 71 और आम आदमी पार्टी ने 66 उम्मीदवार उतारे हैं।

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