चार महीने से आजाद होने का इंतजार कर रहे बाड़े में बंद 14 चीते.

Fourteen leopards trapped in a well in Badi have been awaiting freedom for the past four months.

Sahara Samachaar;

स्टीयरिंग कमेटी अब तक चीतों को जंगल छोड़ने नहीं ले पाई निर्णय

उदित नारायण
भोपाल। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिला के कूनो नेशनल पार्क में पिछले चार महीने से बंद चीते आजाद होने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन इसको लेकर वन अमला गंभीरता नहीं दिखा रहा है। संभावना बन रही है कि इनको अगले महीने 4 दिसंबर को जंगल में छोड़ा जा सकता है। अगले सप्ताह चीता प्रोजेक्ट की स्टीयरिंग कमेटी की बैठक होना प्रस्तावित है। इसमें चीतों को जंगल में छोड़ने को फैसला लिया जा सकता है। बता दें कि लगातार हो रही चीतों की मौत के बाद सभी चीतों को फिर से बाड़े में रखा गया था।

दरअसल चार माह से बाड़ों में बंद चीतों को लेकर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। लंबे समय तक चीतों को बाड़े में रखने से उनकी खुले जंगल में शिकार करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। वहीं, बाड़े में बंद रहने से स्ट्रेस भी बढ़ेगा। चीता प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों ने बारिश के बाद अक्टूबर में चीतों को जंगल में छोड़ने की बात कही थी। नवंबर का पूरा माह गुजर गया है, लेकिन चीतों को जंगल में छोड़ने को लेकर फैसला नहीं हो पाया है। अब चीता प्रोजेक्ट की स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष राजेश गोपाल का कहना है कि अगले सप्ताह स्टीयरिंग कमेटी में चीतों को जंगल में छोड़ने को लेकर फैसला कर लिया जाएगा।

6 वयस्क चीते और 3 शावक की हो चुकी है मौत
कूनो में पिछले साल साउथ अफ्रीका और नामीबिया से 20 चीते लाए गए थे। इनमें से 14 वयस्क चीते ही जीवित बचे हैं। इनमें से 6 चीतों की बीमारी के कारण मौत हो गई थी। इसमें से 3 चीतों की मौत जंगल में रहने के दौरान हो गई थी। इसके बाद बाकी चीतों को जंगल से पकड़कर बाड़ों में रखा गया। इसमें मौत का कारण चीतों को पहनाए रेडियो कॉलर से संक्रमण को भी बताया गया। वहीं, एक मादा चीता ने तीन शावकों को जन्म दिया था। जिसमें से तीन शावकों की मौत हो चुकी है।

शिकार क्षमता हो सकती है प्रभावित
वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों का कहना है कि चीतों को लंबे समय तक बाड़ों में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने लंबे समय तक चीतों को बाड़ों में रखने पर उनकी शिकार क्षमता प्रभावित होने की आशंका जताई है।

अधिकारी बोले- चीते अब स्वस्थ
वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव ने बताया कि सभी चीते बड़े बाड़े में बिल्कुल स्वस्थ हैं। 50 से 150 हेक्टेयर के बाड़े में खुद ही शिकार करके खाते हैं। ऐसे में उनकी शिकार क्षमता प्रभावित होने का कोई सवाल नहीं है। जहां तक चीतों को खुले जंगल में छोड़ने का सवाल है तो यह निर्णय स्टीयरिंग कमेटी को लेना है। उसकी बैठक की तारीख अभी हमें नहीं मिली है।

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