The game of illegal excavation is in progress, and companies are amassing wealth while the poor are unable to secure dwellings. There is blatant looting of public revenue under the guise of open governance, rules and regulations exist only on paper, and officials maintain silence.
Special Correspondent, Sahara Samachaar Katni.
कटनी। नियम कानून को रौदकर जिले में रेत के अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर लगाम लगा पाने में संबंधित विभाग लगातार नाकामयाब साबित हो रहा है। कहने को विष्टा रेत कंपनी का ठेका समाप्त होने के बाद धनलक्ष्मी नामक रेत कंपनी ने जिले की सभी खदानें ले ली। स्वीकृत खदानों में से सिर्फ चार खदानें ऐसी हैं जहां पर वर्तमान में विभाग ने उत्खनन की स्वीकृति प्रदान कर रखी है। कागजों में स्वीकृत चार खदानों के अलावा कई ऐसी खदानें वर्तमान में हैं जहां से रेत का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से हो रहा है। रेत कंपनी जिस अंदाज में बगैर अनुमति रेत का अवैध उत्खनन कर रही है उससे यह कहना गलत नहीं होगा की कंपनी को संबंधित विभाग का संरक्षण प्राप्त है। गत रात्री रेत का अवैध उत्खनन कर जा रहे एक ट्रक को ग्रामीणों ने रोक कर जब दस्तावेजों की जांच की तो जो बातें सामने आई वह बेहद चौंकाने वाली हैं। ग्रामीणों के दस्तावेज पूछने पर यह सिद्ध हुआ कि स्वीकृत खदान की टीपी लेकर गाड़ी किसी दूसरी खदान से अवैध उत्खनन कर देर रात निकल रही थी। उक्त घटना के बाद काफी देर तक गांव में हंगामे की स्थिति निर्मित रही बाद में किसी अधिकारी की मध्यस्थता के बाद ट्रक आगे की ओर रवाना हुआ।
यह था मामला
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक हाईवा क्रमांक MP 20 ZE 5577 गत रविवार की देर रात बड़वारा थाना क्षेत्र के ग्राम लदहर से रेत लोड कर के जा रहा था। ट्रक का पीछा करते हुए ग्रामीणों ने ट्रक को ग्राम सकरीगढ़ में रोक लिया। रेत से लदे ट्रक के चालक से जब ग्रामीणों ने दस्तावेज के संबंध में पूछताछ की तो चालक ने जो दस्तावेज उन्हें दिखाएं उसमें टीपी जजागढ़ रेत खदान की मौजूद थी। जजागढ़ की टीपी के जरिए रेत कंपनी का उक्त ट्रक लदहर से रेत लोड करके जा रहा था। लदहर रेत खदान से अभी तक कंपनी को रेत उत्खनन की स्वीकृति नहीं मिली है। ग्रामीणों का कहना है कि बगैर स्वीकृति के ही उक्त खदान में धड़ल्ले से रेत के उत्खनन का खेल दिन-रात चल रहा है।
बेखौफ चल रहा उत्खनन
रेत के अवैध उत्खनन को लेकर दो दिन पहले ही जिले के समीप वर्ती जिले शहडोल में रेत माफियाओं ने पटवारी को ट्रैक्टर से कुचलकर मौत के घाट उतार दिया था। शहडोल की ही तरह कटनी में भी रेत माफिया गहरे तक अपनी जड़े जमा चुके हैं। पिछले रिकॉर्ड को अगर याद करें तो कटनी में भी मारपीट, गोलीबारी जैसी घटनाएं रेत माफियाओं के द्वारा घटित की जा चुकी हैं। पुरानी कंपनी की तर्ज पर नई कंपनी भी रेत की अवैध उत्खनन में अपने हाथ जमाने लगी है। महज चार खदानों की स्वीकृत होने के बावजूद कंपनी कई अन्य खदानों से रेत का उत्खनन कर स्वीकृत खदान की टीपी के जरिए सप्लाई कर रही है। वर्तमान समय में रेत के दाम आसमान छू रहे हैं। अवैध रूप से निकाली जा रही रेत पर कंपनी को किसी प्रकार का टैक्स तो देना नहीं पड़ेगा, लेकिन मिली भगत करके कंपनी व संबंधित जिम्मेदार लोग मोटा मुनाफा कमाने में जुट गए हैं। रेत का अवैध उत्खनन कर कंपनी जहां एक तरफ शासन को टैक्स का चूना लगा रही है, वहीं दूसरी तरफ आम जनता की जेब पर डाका डालकर अपनी तिजोरी भर रही है जिम्मेदार कार्यवाही नहीं कर रहे यह एक सोचनीय विषय है