Instead of returning the salary to the Government, the amount should be spent on the education of underprivileged girls, according to Uma Bharti.
भोपाल। उमा भारती ने लिखा है कि हाल ही में मंत्री बने रतलाम के एक संपन्न जैन व्यवसायी चेतन्य काश्यप ने अपनी संपत्ति 296 करोड़ घोषित की हैं। अभी कुछ दिनों पहले मध्यप्रदेश के अखबारों में उनकी तारीफ़ लिखी गई थी कि वो अपना विधायक का वेतन नहीं लेते जोकि साल भर का क़रीब 12 लाख होता हैं । 296 करोड़ वाला व्यक्ति अगर सरकार के 12 लाख छोड़ देता है तो इसमें कौनसी बड़ी बात हैं । उन्होंने लिखा है कि चेतन्य काश्यप सरकार को वेतन वापिस करने के बजाय वह राशि अभावग्रस्त लड़कियों की शिक्षा पर खर्च करें ।
उमा ने आगे लिखा है कि हमें यह याद रखना पड़ेगा कि सभी विधायक बड़े व्यवसायी नहीं होते और न वो राजनीति से अपना व्यवसाय बढ़ाते हैं।
एक बार सांसद वरुण गांधी ने कहा था कि सांसदों को तनखा एवं पेंशन नहीं लेना चाहिए। वरुण गांधी ऐसा कर सकते है क्यूँकि वो हज़ारों-करोड़ों की पैतृक संपत्ति के मालिक है । अपना सर्वस्व त्यागकर राजनीति के माध्यम से जनसेवा करने वाले जनप्रतिनिधियों को हर तरह की सहूलियत सरकार से मिलनी चाहिए ।
अगर विधायकों और सांसदों को ईमानदारी की राह पर चलना आसान बनाना है तो चेतन्य काश्यप जैसे पूंजीपति विधायकों को छोड़कर सभी विधायक की तनखा एवं अन्य भत्ते आज की सभी परिस्थितियों को देखकर मिलना चाहिए