Railway administration has been operating trains using firecrackers since the British era.
फाग सेफ्टी डिवाइस भी नहीं रोक पा रहीं ट्रेनों की लेटलतीफी, कोहरे में पटरियों पर ट्रैकमैन डेटोनेटर लगाकर पायलट को दिखा रहे राह
भोपाल। रेलवे का दावा है कि सर्दी के मौसम में कोहरे को मात देने के लिए ट्रेनों के इंजनों में फाग सेफ्टी डिवाइस लगाई गई हैं, लेकिन ये डिवाइस भी ट्रेनों का संचालन पटरी पर लाने के लिए कारगार साबित नहीं हो रही है। दरअसल पिछले कुछ दिनों से लगातार ट्रेनों के देरी से आने का सिलसिला जारी है। तो वहीं अभी भी कोहरे की अधिकता के दौरान ट्रेनों के सफल संचालन के लिए संरक्षा सुरक्षा के लिए रेलवे प्रशासन अंग्रेजों के जमाने से काम में आने वाले पटाखों का ही उपयोग कर ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार रेलवे ने कोहरे से निपटने के लिए पायलट को फॉग डिवाइज उपलब्ध कराए थे,पमरे जोन के तीन रेल मंडल में 1048 डिवाइस लगाई गई थी। लेकिन कोहरा छाते ही तमाम प्रयास फेल साबित हुए हैं। आलम ये है कि एक दर्जन से अधिक ट्रेने 1-26 घंटे की देरी से भोपाल पहुंच रही है। कोहरे के कारण केवल दिल्ली ही नहीं मुंबई,यूपी व छतीसगढ़ के रूट भी प्रभावित हुआ है, साथ ही इससे वंदेभारत,राजधानी व शताब्दी एक्सप्रेस जैसी ट्रेनें भी प्रभावित हो रही है। कोहरे के कारण ट्रेनें लेट होने से यात्रियों को तो परेशानी हो रही हैं। तो वहीं पायलट पटाखों के सहारे ट्रेनों का संचालन कर रहे है। पटरी पर 270 मीटर की दूरी पर डेटोनेटर लगाए जाते है कोहरे की अधिकता के दौरान ट्रेनों के सफल संचालन के लिए संरक्षा सुरक्षा के लिए आज भी रेलवे प्रशासन अंग्रेजों के जमाने से काम में आने वाले पटाखों का ही उपयोग ही कारगार साबित हो रहा है।
रेलवे की नई तकनीक फाग डिवाइस का अधिक असर दिखाई नहीं दिया है। अभी भी रेलकर्मी अधिक कोहरा होने पर पटरियों पर पटाखें लगाकर ट्रेन के चालक को सतर्क कर रहे है। कोहरे में ट्रेनों को सिग्नल सुरक्षित गति से संचालित करने के लिए पमरे जोन में अंग्रेजों के जमाने से चले रहे जुगाड़ का ही प्रयोग किया जा रहा है। अधिक कोहरा होने पर रेलकर्मी गैंगमैन, ट्रैकमैन पटरियों पर पटाखे लगाकर आगे रेल फाटक, सिग्नल, स्टेशन आदि की जानकारी देते है। सिग्नल से पहले पटरी पर 270 मीटर की दूरी पर डेटोनेटर (पटाखे) बांधे जाते है। ट्रेन गुजरने के साथ ही तेज आवाज होती है। इस पर चालक को आगे फाटक, सिग्नल आदि होने की जानकारी मिल जाती है और वह ट्रेन की गति को धीमी कर देता है।