Immortal Martyr Heroine Tribal Veerbala Martyr Bindu Kumre
पूर्व कलेक्टर डॉ श्याम सिंह कुमरे (IAS) की बहन शहीद बिंदु कुमरे का बलिदान दिवस बरघाट में गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा
लेखक- डाँ. श्यामसिंह कुमरे
हमारे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सी.आर.पी.एफ.) भारत संघ का प्रमुख केन्द्रीय पुलिस बल है। यह सबसे पुराना केन्द्रीय अर्ध्द सैनिक बल (अब केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के रूप में जानते है) में से एक है, जिसे 1939 में क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में गठित किया गया था। क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस द्वारा भारत की तत्कालीन रियासतों में आंदोलनों व राजनीतिक अशांति तथा साम्राज्यिक नीति के रूप में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में सहायता की। हमारे देश की स्वतंत्रता के बाद 28 दिसम्बर 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का नाम केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल दिया गया था। तत्कालीन गृहमंत्री मा. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने नव स्वतंत्र राष्ट्र की बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप इस बल के लिए एक बहुआयामी भूमिका की कल्पना की थी। भारत संघ में रियासतों के एकीकरण के दौरान बल ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पाकिस्तानी घुसपैठियों और पाकिस्तानी सेना द्वारा शुरू किए गए हमलों के बाद इस बल को जम्मू-कश्मीर की पाकिस्तानी सीमा पर तैनात किया गया था।
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की जाँबाज अमर शहीद बिन्दु कुमरे का नाम जिला-सिवनी एवं उसके आसपास के जिलों के युवाओं विशेषकर महिलाओं एवं युवतियों में देश प्रेम की भावना की अलख जगाता है। अमर शहीद बिन्दु कुमरे के बलिदान का स्मरण कर क्षेत्र के प्रत्येक व्यक्ति का मस्तक गर्व से ऊंचा उठ जाता है।
88 वीं वाहिनी के केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल में पदस्थ अमर शहीद बिन्दु कुमरे को जम्मू एवं कश्मीर में पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों जैश-ए-मोहम्मद का सफाया करने हेतु, उनके अदम्य साहस, वीरता, बहादुरी एवं कुशल योग्यता को दृष्टिगत रखते हुये तैनात किया गया था।
ग्राम जावरकाठी जो कि जनजाति बाहुल्य ग्राम है। इस ग्राम में गणेश उत्सव में गणेश जी व शारदीय नवरात्रि में दुर्गा देवी जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करने की पुरानी परंपरा है। ग्राम जावरकाठी की रामायण मंडली प्रदेश में प्रसिध्द रही है तथा वर्ष 1956 में भोपाल में इस ग्राम की रामायण मंडली को पुरूष्कार प्राप्त हुआ था।
देश की प्रथम महिला अमर शहीद वीरांगना बाला बिन्दु कुमरे का जन्म 07 अप्रैल 1970 को सिवनी जिला, बरघाट, मध्यप्रदेश के एक छोटे से ग्राम जावरकाठी बरघाट निवासी प्रतिष्ठित मालगुजार अनुसूचित जनजाति परिवार में हुआ था। माता श्रीमति गिंदिया जी-पिता स्व. श्री शिवनाथ जी (पटेल), दादी स्व.श्रीमति झिकिया जी, ताऊ स्व.श्री पन्नालाल जी, श्री धन्नालाल जी कुमरे (ग्राम-पटेल), ताई स्व.श्रीमति रूपा माय, स्व.श्रीमति सुहागा माय, श्रीमति फूलवती माँ, बडे भाई बैजनाथ, रामेश्वर, मेनसिंग, श्यामसिंह, सुजानसिंह, बिहारीलाल, शरदसिंह, बड़ी बहन बैजन्ती, जसवन्ती, पदमा, शिवरी, किरण, मंजू, सुधा के स्नेह एवं वात्सल्य में इनका बचपन बीता । इनकी प्राथमिक शिक्षा ग्राम-जावरकाठी, माध्यमिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा बरघाट में हुई, कुछ वर्षो के लिए विद्या अध्ययन हेतु अपनी बड़ी बहन बैजन्ती-लालसिंह जी के साथ राजनांदगांव में भी रही।
बाल्यकाल से ही तैरना, निशानेबाजी, साइकिल एवं दो पहिया वाहन चलाने में बड़ी रूचि रखती थी। वे कुशाग्र बुध्दि की धनी थी व बहुत ही साहसी, देश प्रेमी, राष्ट्रवादी व अपनी भारतीय परम्परा, संस्कृति, सभ्यता और धर्म का गर्व से कठोरता पूर्वक पालन करने वाली थी। ग्राम-जावरकाठी स्थित कुलदेवी के दर्शन करने के पश्चात ही अपना कार्य प्रारंभ करती थी। चैत्र नवरात्री एवं शारदीय नवरात्री में बाल्यकाल से ही वृत रखती थी, साथ ही बडे़ देव की पूजा भी करती थी। वर्ष में दो बार नवा खाने के कार्यक्रम में विशेष रूप से भाग लेती थी। भारतीय सभ्यता, परम्परा, संस्कृति पर गर्व करती थी। देश-भक्ति के गीत गुनगुनाया करती थी। किन्ही भी विषम परिस्थितियों में अपने उद्देश्य से पीछे हटती नहीं थी। अपने उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु बहुत ही जिद्दी थीं, उनमें राष्ट्रवाद का जुनून था। हमारे देश में पाकिस्तानी मुस्लिम आंतकवादियों से बदला लेने सेना में भर्ती होने का संकल्प बचपन से ही ले ली थी। इसलिये अवसर मिलते ही पैरा मिलिट्री फोर्स में भर्ती होने का अदम्य साहस दिखाया। के.रि.पु. बल में चयन के पश्चात अमर शहीद बिन्दु कुमरे ने आजीवन अविवाहित रहकर देश की रक्षा करने का संकल्प लिया था। वे चाहती तो ग्राम की अन्य बहन-बेटियों की तरह शिक्षक बनकर सामान्य जीवन जीने के रास्ते का चुनाव कर सकती थी किन्तु उनकी आत्मा में बसी राष्ट्रवाद, देशप्रेम की भावना ने व भारतीय भाई-बहनों का पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों द्वारा किये जा रहे नरसंहार की घटनाओं ने उन्हे सी.आर.पी.एफ. में भर्ती होने का साहस एवं प्ररेणा दी। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के कुछ पुरूषकर्मी हिम्मत हारकर सेवा छोड़कर घर वापस आ गये थे लेकिन अमर शहीद बिन्दु कुमरे अपने कर्तव्यों की बेदी पर शहीद होने तक मोर्चे पर डटी रहीं। देश की प्रथम महिला शहीद (सी.आर.पी.एफ.) होने का गौरव अमर शहीद वीरांगना जनजाति बाला बिन्दु कुमरे को प्राप्त हुआ है।
बल संख्या 971351827 अमर शहीद बिन्दु कुमरे, वर्ष 1997 में रिजर्व पुलिस बल में सि./जी.डी. के पद पर भर्ती हुई थी। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की 88वीं बटालियन में पदस्थ अमर शहीद बिन्दु कुमरे की श्रीनगर एयरपोर्ट पर तैनाती के दौरान दिनांक 16 जनवरी 2001 को लष्कर-ए-तोयेबा के 6 फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादीयों ने श्रीनगर हवाई अड्डे पर अचानक हमला कर दिया। सभी 6 फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादी भारतीय सेना की वर्दी में थे इसलिए उन्हें पहचानने में कुछ विलम्ब हुआ एवं लगभग 2.45 बजे हवाई अड्डे के प्रथम प्रवेश मार्ग जो कि टर्मिनल बिल्डिंग से करीब 2 कि.मी. दूर स्थित है के पास पहुचने में आतंकवादी सफल हो गये, जहां अमर शहीद बिन्दु कुमरे सहित वहां पर तैनात सी.आर.पी.एफ. के जवानों ने पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों को वहां पर रोका व ललकारा। लश्कर-ए-तोयेबा के 6 आत्मघाती फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकवादियों ने अमर शहीद बिन्दु कुमरे सहित केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के वहां पर तैनात जवानों पर ग्रेनेड से हमला किया। 06 फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों व अमर शहीद बिन्दु कुमरे सहित के.रि.पु. बल के जावनों के बीच करीब 3 घंटे से भी अधिक समय तक मुठभेड़ चली। अमर शहीद बिन्दु कुमरे ने अपने अदम्य साहस व वीरता के साथ देश हित में अपनी जान की परवाह किए बिना 6 फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों से लोहा लिया। जिसमें अमर शहीद बिन्दु कुमरे को 3 गोलियां लगी फिर भी उन्होने 6 फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों पर अपनी अंतिम सास रहने तक गोलियां चलाना बंद नहीं किया एवं 4 खूंखर आतंकवादियों को वहीं ढ़ेर कर दिया। इस प्रकार हवाई अड्डे पर उपस्थित लोगों की सुरक्षा करने में सफल रहीं और देश की आन-बान-शान के लिए 6 फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों के विरूध्द वीरता पूर्वक लड़ते हुए खुशी-खुशी शहीद हो गई। इन फिदायीन पाकिस्तानी मुस्लिम आत्मघाती आतंकवादियों को यह संदेश देती गई की इस देश के युवक ही नहीं युवतियां भी अपने देश की रक्षा के लिए पूर्णतः तैयार व तत्पर हैं। अमर शहीद बिन्दु कुमरे को वरता के लिये वर्ष 2002 में पुलिस मेडल से सम्मानित किया गया। अमर शहीद बिन्दु कुमरे के साहस की जितनी भी प्रशंसा की जाये कम ही है तथा पैरा मिलिस्ट्री फोर्स के अन्य जवानों, देश व प्रदेश के युवक-युवतियों के लिए सदैव प्रेरणा स्त्रोत बनी रहेगीं।
यूँ तो हमारा देश प्राचीन काल से सोने की चिड़िया रहा है, इसलिये सदैव विदेशी आक्रमणकारियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। आदिवासी जनजाति समुदायों ने हमेशा घोड़े, बंदूक, तोपों से सुसस्जित विदेशी आक्रमण कारियों एंव विदेशी शासकों की सेना का अपने परम्परागत शस्त्रों तीर-कमान, भाले व अपने अदम्य साहस से उनका मुकाबला कर भारत माता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान देते आयें है तथा अपनी सनातन परम्परा, संस्कृति सभ्यता एवं धर्म पर आंच भी नही आने दिया तथा भारतीय, सभ्यता, संस्कृति, परम्परा व धर्म को और समृध्द करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जनजाति समुदाय प्राचीन भारतीय सभ्यता, संस्कृति व परम्परा का संवाहक रहा है।
विशाल गोंडवाना साम्राज्य मण्डला की गोंड महारानी दुर्गावती जी ने भी विदेशी मुस्लिम आक्रमणकारी अकबर की सेना से साहस और वीरता पूर्वक लड़ते हुए अपने सम्मान, स्वाभिमान व भारतीय परम्परा, सभ्यता, संस्कृति, धर्म की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुई। उनका मृत शरीर को भी मुस्लिम आक्रमणकारी हाथ न लगा सके इसके लिये अंतिम समय में स्वयं कटार भोंककर खुद ही देश के लिए बलिदान हुई, व मृत शरीर को आग के सुपुर्द कराने का अनुरोध अपने सहयोगियों से किया।
गिन्नौरगढ़ भोपाल की गोंड महारानी कमलापति जी ने भी विदेशी मुस्लिम सैनिकों से अपने शरीर को बचाने हेतु भोपाल के ताल में राज्य के सम्पूर्ण खजाने व महल में उपस्थित महिलाओं के साथ जल समाधि ले ली थी, किन्तु अपनी परम्परा, सभ्यता, संस्कृति व धर्म से समझौता नहीं किया। ऐसी सर्वोत्कृष्ट परम्परा का निर्वाह अनुसूचित जनजाति की महारानियों ने अतीत में भी किया है।
वर्तमान में भी भारतीय संविधान में उपासना की स्वतंत्रता का अधिकार प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है। इसलिये इस देश के विविध धर्मावलंबियों जहाँ एक ओर अपनी परम्परा, सभ्यता, संस्कृति व धर्म की आस्था का पालन करते हैं वहीं दूसरी ओर अन्य धर्मावलंबियों, जातियों व समुदायों की परम्परा, सभ्यता, संस्कृति व धर्म का सम्मान भी करते है। इसी गुण के कारण विशाल भारत देश संगठित, मजबूत, शिक्षित भारत, स्वस्थ्य भारत, विकसित भारत, स्वच्छ भारत सुरक्षित भारत, अखण्ड भारत, विश्वगुरू भारत के रूप में विश्व के समक्ष अपने राष्ट्र की ध्वजा को हमारे देश के मान.प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में गर्व से लहरा रहा है। इसके बावजूद भी कुछ विकृत मानसिकता के असामाजिक तत्वों द्वारा अपने छद्म नाम बताकर तथा धर्म को छिपाकर, जनजाति समुदाय में व्याप्त अशिक्षा, गरीबी, उनकी सरलता व सहजता का दुरूपयोग कर डरा धमकाकर जबरन धर्मांतरण जैसे अशोभनीय व असंवैधानिक कृत्यों में भी लिप्त हैं। इन्ही कारणों से म.प्र. के मा. मुख्यमंत्री जी को लव जिहाद के विरूध्द भी कानून बनाने हेतु बाध्य होना पड़ा। सभी धर्मावलंबियों व सामाजिक संगठनों का देश हित में यह दायित्व बनता है कि वे जनता में यह जागृति पैदा करें कि सभी अपने-अपने धर्म, संस्कृति व परम्परा की हद में रहें तथा अन्य जाति, समुदाय, धर्मावलंबियों विशेषकर जनजातियों का धर्मांतरण व शोषण प्रलोभन देकर जबरन न होने देवें तथा सर्वधर्म संद्भाव का परिचय दें।
मेरा आदिवासी जनजाति समुदाय विशेषकर युवक-युवतियों से विनम्र अनुरोध है कि मंडला की गोंड महारानी दुर्गावती जी, गिन्नौरगढ़ भोपाल की गोंड महारानी कमलाबति जी एवं अमर शहीद वीरांगना बिन्दु कुमरे जी, टुरिया कुरई के वन सत्याग्राही अमर बलिदानी रेनी बाई, बुट्टो बाई, देवो बाई और बिरजू भोई महाराजा शंकरशाह, कुं. रघुनाथ शाह एवं भगवान बिरसा मुण्डा जी एवं असंख्य जनजाति बलिदानियों के बलिदान से प्रेरणा व शिक्षा ग्रहण कर अपने समुदाय व भारत की परम्परा, सभ्यता, संस्कृति व धर्म का पालन और संरक्षण करें। प्रलोभन व जबरन धर्मांतरण से समाज की रक्षा करने हेतु आपसी मतभेद को भूलकर संगठित होकर सकारात्मक संवैधानिक पहल निरन्तर करते रहें तथा शैक्षणिक, आर्थिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास की ओर अग्रसर रहें और 2047 तक भारत विकसित भारत बनाने के हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी के संकल्प को पूरा करने में सहयोगी बने। प्रतिवर्ष दिनांक 16 जनवरी को अमर शहीद बिन्दु कुमरे के बलिदान दिवस के दिन बरघाट, जिला सिवनी में उपस्थित होकर वीरांगना को सच्ची श्रध्दांजली अर्पित करने के लिए समाज के सभी वर्गो के विषेषकर जनजाति समुदाय के स्त्री-पुरूष, युवक-युवतियां, छात्र-छात्राएं भारी संख्या में उपस्थित होकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
प्रतिवर्ष की भाँति इस वर्ष दिनांक 16 जनवरी 2024 को बरघाट में गौरव दिवस के रूप् में भव्य आयोजन किया जाता है। संपूर्ण जिले से देशभक्त, छात्र-छात्राएँ, युवक-युवतियाँ बड़ी संख्या में ग्राम जावरकाठी स्थित समाधि स्थल एवं बरघाट में स्थापित मूर्ति के समक्ष उपस्थित होकर श्रध्दा-सुमन अर्पित करेगें, मैराथन दौड़, सांस्कृतिक कार्यक्रम, नगर परिषद बरघाट कार्यालय के समक्ष आयोजित होगें। जिले के सभी शैक्षणिक संस्थाओं एवं सामाजिक संगठनों द्वारा भी अपने-अपने स्थान में देशभक्ति के भव्य आयोजन संपन्न किए जाते हैं।