CM Mohan banned Shivraj’s rule
- मध्य प्रदेश गान पर अब खड़े होने की जरूरत नहीं’, शिवराज के इस नियम पर CM मोहन ने लगाई रोक
भोपाल ! प्रदेश के सीएम मोहन यादव ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा बनाए गए नियम को तोड़ दिया है. शिवराज सिंह कार्यकाल के दौरान सरकारी कार्यक्रमों के शुरुआत में मध्य प्रदेश गान होने की प्रथा थी, इस दौरान सभी लोग खड़े होकर गीत सुनते थे. इसी परंपरा को सीएम मोहन ने तोड़ दिया है. उन्होंने एक कार्यक्रम में सम्मिलित होकर लोगों से कहा कि सिर्फ राष्ट्रगान के समय खड़े होना चाहिए.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लंबे समय से चली आ रही प्रथा तो तोड़ दिया. दरअसल, शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के दौरान सभी सरकारी कार्यक्रमों की शुरुआत मध्य प्रदेश गान से करने की प्रथा थी, जिसके दौरान सभी लोग खड़े होकर गीत गाते थे. हालांकि, मौजूदा सीएम मोहन ने हाल ही में एक कार्यक्रम में राष्ट्रगान बजते समय बैठे रहकर इस परंपरा को तोड़ दिया.
कार्यक्रम में सीएम मोहन के मंच पर पहुंचने पर अनाउंस किया गया कि मध्य प्रदेश गान होगा. इसके बाद सभा में मौजूद सभी लोग अपनी जगह पर खड़े हो गए. इसी दौरान अपनी कुर्सी पर बैठे सीएम मोहन में अनाउंसर को इशारे से कहा कि खड़े होने की जरूरत नहीं है बैठे रहे. उनके इशारे के बाद सभी लोगों ने मध्य प्रदेश गान बैठकर सुना. सीएम मोहन मध्य प्रदेश राज्य सिविल सेवा में चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र सौंपने के एक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए पहुंचे थे, जहां उन्होंने इस प्रथा तो तोड़ दिया.
क्या कहा सीएम मोहन ने?
उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान के समय खड़े होना चाहिए, ये हमारे लिए आदर है. अगर कोई विश्वविद्यालय गान बनाता है या कोई कॉलेज गान बनाता है, फिर वह अपने नियम बनाने लगेंगे कि हमारे गान को भी राष्ट्रगान की तरह खड़े होकर सुना जाए, तो यह क्या बात हुई? सीएम ने इस बात पर जोर दिया कि मध्य प्रदेश गान को राष्ट्रगान के साथ समान नहीं किया जाना चाहिए.
कौन से साल से शुरू हुआ था नियम?
सीएम के इस फैसले से विवाद खड़ा हो गया है, क्योंकि 2011 में मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर सभी सरकारी समारोहों, स्कूलों और कॉलेजों में मध्य प्रदेश गान गाना अनिवार्य कर दिया था. इस कदम का राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था. तब सरकार ने यह कहकर फैसले का बचाव किया कि मध्य प्रदेश गान राज्य की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है और इसे बिना किसी आपत्ति के गाया जाना चाहिए.
बता दें कि मध्य प्रदेश गान को वरिष्ठ पत्रकार महेश श्रीवास्तव ने लिखा था. तब तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने गान लिखने के लिए उन्हें चुना था. संस्कृति मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के अनुरोध के बाद श्रीवास्तव ने केवल दो घंटे में राष्ट्रगान तैयार कर दिया था.