The defeat of North Bhopal decided Alok Sharma’s ticket from Bhopal Lok Sabha seat!
प्रधानमंत्री मोदी की नाराजगी प्रज्ञा ठाकुर पर पड़ी
महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे के बयान ले डूबे प्रज्ञा का टिकट
सांसद रहते हुए भोपाल को नहीं दे सकीं कोई खास उपलब्धियां अक्सर विवादों में रहीं
भेापाल। कांग्रेस अगर कोई खास चमत्कार नहीं कर पाई तो संभवत: भोपाल लोकसभा सीट से आलोक शर्मा का संसद में पहुंचना तय माना जा रहा है। वजह है भोपाल सीट का भाजपा के गढ़ के रूप में तब्दील हो जाना। सूत्र बताते हैं कि आलोक शर्मा उत्तर भोपाल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं थे। उत्तर भोपाल मुस्लिम बाहुल्य होने के कारण कांग्रेस खासकर अकील परिवार का गढ़ बन चुकी है। भाजपा का कोई दांव यहां नही चलता। पहले भी आलोक यहां से चुनाव हार चुके थे। बाद में वे इसी शर्त पर भोपाल उत्तर से विधानसभा का चुनाव लड़े कि यदि वे पराजित हुए तो इस बार भोपाल लोकसभा सीट से उनके नाम की सिफारिश की जाएगी।
बताते हैं कि आलोक को यह भरोसा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने दिलाया था। इस तरह विधानसभा चुनाव के दौरान ही भोपाल सीट से आलोक का चुनाव लड़ना लगभग तय हो गया था। आलोक के सामने अब आलोक का ही रिकार्ड तोड़ने की चुनौती है। जी हां, हम बात कर रहे हैं पूर्व सांसद आलोक संजर की। भोपाल सीट से उनके नाम ही सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकार्ड दर्ज है।
गांधी और गोडसे के बयान ले डूबे टिकट
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने पिछले चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को बड़े अंतर से हराया था। बावजूद इसके इस बार उनका टिकट कटने की संभावना थी। वजह थे उनके बयान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उनसे नाराजगी। साध्वी प्रज्ञा द्वारा महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे को लेकर दिए गए एक बयान पर प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वजनिक तौर पर नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि इस बयान के लिए वे प्रज्ञा ठाकुर को कभी माफ नहीं कर पाएंगे। उनके कुछ अन्य बयान भी विवादों में रहे थे। इसकी वजह से प्रज्ञा ठाकुर का टिकट कटना लगभग तय था। इसी संभावना के आधार पर ही आलोक शर्मा को भोपाल लोकसभा सीट से टिकट की सिफािरश का आश्वासन दिया गया था।
शिवराज, वीडी, उमा जैसे दिग्गज दावेदारों का नहीं चला जोर
भेापाल लोकसभा सीट से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के नाम चल रहे थे। कहा जा रहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी यहां से दावेदार हैं। भोपाल जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी सहित कई अन्य स्थानीय नेता तो कतार में थे ही। आलोक, विधानसभा का चुनाव हार चुके थे, इसलिए दावेदारों में उनका नाम चलाया ही नहीं जा रहा था। पर बाजी उनके हाथ ही लगी। पार्टी नेताओं ने उन्हें दिया आश्वासन पूरा किया। आलोक को टिकट दिलाने में सबसे बड़ी भूमिका शिवराज सिंह चौहान की ही बताई जा रही है। आलोक प्रारंभ से उनके निकटस्थ हैं।
आलोक संजर के नाम 3 लाख 71 हजार मतों से जीत का रिकार्ड
भोपाल लोकसभा सीट से लगातार भाजपा जीत दर्ज कर रही है, लेकिन सबसे ज्यादा लगभग 3 लाख 71 हजार मतों से जीत का रिकार्ड आलोक संजर के नाम दर्ज है। संजर ने भोपाल में कांग्रेस के लोकप्रिय नेता पीसी शर्मा को हराया था। इसलिए आलोक के सामने आलोक का ही रिकार्ड तोड़ने की चुनौती है। आलोक शर्मा भोपाल के महापौर रहे हैं और शहर के ही रहने वाले हैं। इस नाते वे यहां की नब्ज से परिचित हैं। इसके अलावा वे भाजपा के दो बार जिलाध्यक्ष रहे हैं, इसकी वजह से भोपाल का हर कार्यकर्ता उन्हें जानता है और संगठन में भी उनकी पकड़ अच्छी है। लिहाजा, आलोक से जीत का नया रिकार्ड बनाने की उम्मीद की जा रही है।
टिकट घोषित होने से पहले शुरू कर चुके थे प्रचार
आलोक को टिकट मिलने का पहले से अहसास था, संभवत: इसीलिए उन्होंने विधानसभा चुनाव के बाद से ही लोकसभा क्षेत्र में प्रचार शुरू कर दिया था। वे खुद को प्रत्याशी तो नहीं बात रहे थे, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों को लेकर लोगों के पास घर-घर जा रहे थे। भगवान राम को लेकर वे मोदी का संदेश में भी लोगों तक पहुंचा रहे थे। कांग्रेस ने अब तक अपना प्रत्याशी घाेषित नहीं किया है। इसलिए भी आलोक के सामने बढ़त लेने का मौका है।