Hamidia Hospital is being prepared for robotic surgery
भोपाल ! इस साल के अंत तक हमीदिया अस्पताल में रोबोटिक्स तकनीक से घुटने और कूल्हे के आपरेशन शुरू करने की तैयारी। राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल में जल्द ही घुटने और कूल्हे (नी एंड हिप रिप्लेसमेंट) की रोबोटिक सर्जरी को शुरु करने की तैयारियों में जुट गया है। अब तक सिर्फ प्रदेश के निजी अस्पतालों में नी और हिप की सर्जरी होती है। प्रदेश के एम्स को छोड़ किसी सरकारी अस्पताल में यह सुविधा पहली बार शुरू होने जा रही है। रिप्लेसमेंट के लिए इसकी शुरुआत दिसंबर 2024 तक की जाएगी, जिसकी कार्ययोजना काम किया जा रहा है। विभाग के अधिकारियों की मानें तो साल के अंत तक इसकी सुविधा सर्जरी वाले मरीजों को मिलना भी शुरू हो जाएगी। गांधी मेडिकल कालेज से मिली जानकारी के अनुसार इसके लिए बेंगलुरु की एक निजी कंपनी से अस्पताल के विशेषज्ञ संपर्क में भी हैं।
क्या है रोबोटिक नी रिप्लेसमेंट
रोबोटिक सर्जरी कंप्यूटराइज्ड डिवाइस से की जाएगी, जो चिकित्सक के सहयोगी के रूप में काम करेगी। इसमें सर्जरी के दौरान चिकित्सक रोबोटिक सेटअप का रिमोट हाथ में पहनते हैं। इसमें लगे कैमरे और सेंसर रोबोट घुटने के सारे मूवमेंट और स्थिति को नोट कर उसकी थ्रीडी इमेज तैयार करते हैं। थ्रीडी इमेज के हिसाब से रोबोट सर्जरी का सटीक प्लान तैयार करता है। वह चिकित्सक को बताता है कि हड्डी कितनी खराब है, कितनी और किस जगह से काटने पर क्या परिणाम आ सकते हैं। आपरेशन एक विशेष कंसोल में बैठा सर्जन आपरेशन का काम संभालता है। सर्जन को आपरेशन करने वाली जगह का एक बड़ा 360 डिग्री दृश्य दिखता है। इसके अलावा साथ खड़ा चिकित्सक इस बात की जानकारी देता है कि उपकरण सही जगह पर जाकर अपना काम कर रहा है।
रिप्लेसमेंट के तीन दिन बाद अस्पताल से मिलेगी छुट्टी
अब तक यह सारे आकलन चिकित्सक अपने विवेक और अनुभव के आधार पर करते थे। अब चिकित्सक के पास सटीक आकलन और प्लान होगा। इससे सर्जरी काफी आसान हो जाएगी। यही नहीं, रोबोटिक सर्जरी में इंप्लांट की उम्र 10 साल तक बढ़ जाती है और सर्जरी फेल होने का खतरा न के बराबर होता है। यह सर्जरी इतनी सटीक होती है कि रिप्लेसमेंट के तीन दिन बाद ही मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है।
इनका कहना है
रोबोटिक सर्जरी को लेकर काम काफी समय से चल रहा है। इसके पूर्व में भी इस सर्जरी के लिए डेमों विशेषज्ञों के सामने हो चुका है। वर्ष 2024 के अंत तक में इसकी शुरुआत करने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार हो सकेगा। इतना ही नहीं तकनीकी को बढ़ाने के लिए हम लगातार प्रयासरत हैं, बाहर के विशेषज्ञों से इसे लेकर लगातार संपर्क में हैं, जिससे इसकी सफलता की जानकारी दी जा सके।
- डा. सलिल भार्गव, डीन गांधी मेडिकल कालेज भोपाल