Private school operators cannot sell backpacks and bags, if rules are broken…
मध्य प्रदेश में निजी स्कूल संचालकों के खिलाफ भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने एक निर्देश जारी किया है. कलेक्टर के इस निर्देश को अभिभावक खूब सराह रहे हैं और काफी खुश हैं
भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह के निर्देशों से भोपाल के अभिभावकों में खुशी का माहौल है. भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने निजी संचालकों के लिए आदेश जारी किए हैं कि कोई भी स्कूल संचालक बस्ता और ड्रेस नहीं बेच सकेगा. नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूल संचालकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी.
भोपाल कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने जिले में संचालित होने वाले सभी निजी स्कूलों के संचालकों के लिए एक आदेश जारी किया है. इस आदेश में स्पष्ट किया है कि विद्यालय की स्टेशनरी, यूनिफार्म पर स्कूल का नाम प्रिंट कराकर दुकानों से क्रय कराने या एक विशिष्ट दुकान से यूनिफार्म और पाठ्य पुस्तकें बेचना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा.
निर्देश का पालन नहीं करने पर होगी कार्रवाई
आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति, विद्यालय के प्राचार्य और प्रबंध के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 188 के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही संबंधित एसडीएम और जिला शिक्षा अधिकारी को इस आदेश का पालन सुनिश्चित कराने के लिए कहा गया है.
कलेक्टर ने निजी विद्यालयों को स्पष्ट किया है कि आगामी शिक्षण सत्र प्रारंभ होने से पहले ही लेखक और प्रकाशक के नाम और मूल्य के साथ कक्षावार पुस्तकों की सूची विद्यालय के सूचना पटल पर प्रदर्शित करें. कलेक्टर ने कहा कि विद्यार्थियों को ऐसी सूची मांगने पर उपलब्ध कराई जाना चाहिए, ताकि विद्यार्थी और उनके अभिभावकगण इन पुस्तकों को अपनी सुविधानुसार खुले बाजार से खरीद सकें.
अभिभावकों में खुशी की लहर
भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि स्कूल संचालकों को सूचना पटल पर यह भी अंकित करना होगा कि किसी दुकान विशेष से सामग्री क्रय करने की बाध्यता नहीं है. कहीं से भी पुस्तकें, यूनिफार्म और अन्य आवश्यक सामग्री क्रय की जा सकती है. पुस्तकों के अतिरिक्त स्कूल प्रबंधकों की ओर से यूनिफार्म, टाई, जूते, कापियां आदि भी स्कूल से उपलब्ध या बेचने की कोशिश नहीं की जाएगी.
भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह की तरफ से जारी किए गए इस तरह के आदेश से भोपाल के अभिभावकों ने खुशी जाहिर कर जिला प्रशासन की सराहना की है. उनका कहना है कि इस आदेश के बाद निजी स्कूल संचालकों की मनमानी पर विराम लग सकेगा, साथ ही कमीशन खोरी नहीं होने की वजह से स्कूलों का कोर्स भी अधिक कीमत का नहीं रहेगा. यह अच्छा फैसला है. इसे पूरे प्रदेश में सख्ती के साथ लागू किया जाना चाहिए.