सरकार की संवेदनशीलता :घायल शावकों को विशेष ट्रेन से भोपाल लाए, वन्य प्राणी चिकित्सालय में चल रहा उपचार

 भोपाल
 मध्यप्रदेश की मोहन सरकार ने संवेदनशीलता की अद्भुत मिसाल पेश की है। सीहोर जिले में बाघिन के घायल शावकों को लाने के लिये एक डिब्बे की विशेष ट्रेन चलाई गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। उल्लेखनीय है कि गत सोमवार 15 जुलाई को सुबह करीब 6 बजे सीहोर जिले के बुदनी के मिडघाट रेलवे ट्रैक पर बाघिन के तीन शावक ट्रेन की चपेट में आ गए थे।

भोपाल में तत्काल भर्ती के दिए निर्देश

इस दुर्घटना में एक शावक की मृत्यु हो गई। दो शावक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर घटना की सूचना मिलते ही वन्य प्राणी चिकित्सकों की टीम घटना स्थल पर पहुंची। दोनों घायल शावकों की स्थिति को देखते हुए वहां इलाज संभव नहीं था। दोनों को इलाज के लिए वन्य प्राणी चिकित्सालय भोपाल में तत्काल भर्ती कराना जरूरी था।

मुख्ममंत्री मोहन यादव ने घायल बाघिन के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए एवं स्थिति की गंभीरता को समझते हुए विशेष निर्देश दिए एवं भोपाल रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों से इस संबंध में संपर्क स्थापित किया गया।

घायल शावकों का इलाज अभी चल रहा है

तत्पश्चात रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक डिब्बे की विशेष ट्रेन मंगलवार सुबह बुधनी के घटना स्थल मिडघाट तक भेजने का निर्णय लिया। घायल शावकों को भोपाल लाने के लिए एक डिब्बे की विशेष ट्रेन भेजी गई जिसमें सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह भी भोपाल से ट्रेन में रवाना हुए। दोनों घायल शावकों को ट्रेन से भोपाल लाकर वन विहार के वन्य प्राणी चिकित्सालय में भर्ती किया गया।

दोनों घायल शावकों का इलाज अभी चल रहा है। इस पूरी कार्रवाई में सीनियर डीओएम निरीश कुमार राजपूत, वन मंडल अधिकारी श्री मगन सिंह डाबर, एसडीएम श्री राधेश्याम बघेल सहित राजस्व एवं वन विभाग की टीम उपस्थित रही।

वन-विभाग में मचा था हड़कंप
गौरतलब है कि, 15 जुलाई को टाइगर की मौत और शावकों के घायल होने की सूचना मिलते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया. विभाग की टीम, डॉक्टर, रेस्क्यू और रेंजर आनन-फानन में मौके पर पहुंच गए थे. टीम ने टाइगर का शव लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया था. जबकि, डॉक्टरों ने घायल टाइगरों का इलाज शुरू कर दिया था. बता दें, यह क्षेत्र रातापानी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में आता है. यहां के जंगली जानवर लगातार रेल हादसों का शिकार बन रहे हैं. बता दें, वन्य जीवों को इस तरह की मौत से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने ट्रेन के ट्रैक किनारे फेंसिंग लगाने का फैसला किया था. लेकिन, यह काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है.

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