नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने आगरा को ‘‘विरासत शहर’’ घोषित करने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी और कहा कि याचिका में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि इस तरह की घोषणा से शहर को कोई विशेष लाभ मिलेगा।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने ताजमहल और उसके आसपास के क्षेत्रों की सुरक्षा एवं संरक्षण के संबंध में 1984 में दायर जनहित याचिका पर अर्जी को खारिज कर दिया।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिका में ऐसा कुछ नहीं दर्शाया गया है जिससे यह पता चले कि इससे शहर को कोई विशेष लाभ मिलेगा। यह अदालत इस तरह की घोषणा की अनुमति नहीं दे सकती। याचिका खारिज की जाती है।’’
सुनवाई के दौरान पीठ ने वकील से पूछा कि अगर ‘विरासत शहर’ का दर्जा मिल जाए तो इससे शहर को क्या फायदा होगा और इस तरह की घोषणा के लिए कानून के तहत क्या प्रावधान है।
वकील ने कहा कि आगरा को विरासत शहर घोषित करने की आवश्यकता है क्योंकि इसका 1,000 साल पुराना इतिहास है और यहां कई ऐतिहासिक धरोहर हैं जिन्हें संरक्षित किए जाने की आवश्यकता है।
वकील ने कहा, ‘‘आगरा को विरासत शहर घोषित करने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार सृजन में मदद मिलेगी और क्षेत्र का संरक्षण होगा।’’
न्यायमूर्ति ओका ने कहा,‘‘…. आगरा शहर को विरासत शहर घोषित करने से क्या लाभ मिलेगा? क्या इस घोषणा से आगरा स्वच्छ हो जाएगा? अगर इससे मदद नहीं मिलती है तो यह व्यर्थ की कवायद है।’’