देश में चीन से इम्पोर्ट होने वाले चीनी सामानों की बढ़ेगी निगरानी

नई दिल्ली
 भारत सरकार चीन से आने वाले सामानों पर पैनी नजर रखने के लिए तैयार है। जिस तरह पेजर सप्लाई चेन में कमियों का फायदा उठाकर इजरायल ने हिज्बुल्लाह के खिलाफ कार्रवाई की। उस घटना के बाद भारत सरकार बेहद अलर्ट हो गई है। यही वजह है कि केंद्र ने स्मार्ट मीटर, पार्किंग सेंसर, ड्रोन के पुर्जे और लैपटॉप-डेस्कटॉप जैसे सामानों की जांच 'विश्वसनीय स्रोत' से करवाने का प्लानिंग की है। इन इलेक्ट्रिक डिवाइस को ट्रस्टेड सोर्स से जांच की अनिवार्यता के दायरे में लाया जा सकता है। इससे पहले सीसीटीवी के मामले में भी सरकार की ओर से ऐसा ही कदम उठाया गया था।

चीन के सामानों को लेकर अलर्ट सरकार

सरकार का टारगेट उन सामानों पर कड़ी नजर रखना है जो इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) का हिस्सा हैं। ऐसी आशंका है कि भारत के उत्तरी बॉर्डर पार की कंपनियों और एजेंसियों को इन उपकरणों से जरूरी डेटा मिल सकता है। ऐसे में सरकार ने निगरानी कैमरों की सुरक्षा व्यवस्था में खामियों का पता चलने के बाद अब कैमरों की जांच को अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए निर्धारित लैब से जरूरी सर्टिफिकेट लेना होगा। इसके अलावा, कुछ खास पुर्जों को भी एजेंसियों की ओर से सर्टिफिकेशन कराना होगा। उसके बाद ही भारतीय या अन्य निर्माता इनका इस्तेमाल कर पाएंगे।

'सिस्टम ऑन अ चिप' को जांच में लाने की तैयारी

'सिस्टम ऑन अ चिप' या SoC भी जांच के दायरे में है। यह एक इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) होता है जो एक ही चिप पर इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के ज्यादातर कंपोनेंट्स को समाहित करता है। एक सूत्र ने बताया कि हमारा उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक सामानों के लिए एक विश्वसनीय सप्लाई चेन बनाना है क्योंकि हम कोई कमजोर कड़ी नहीं चाहते। जिसका फायदा विदेशी कंपनियां उठा सकें। खासकर जब हमारे आस-पास शत्रुतापूर्ण नेबरहुड हो।

केंद्र सरकार का ये है प्लान

सरकार पहले टैरिफ की दीवार खड़ी करके चीन से आयात रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब उसने तकनीकी मानकों पर जोर देना शुरू कर दिया है। इसका कारण यह है कि WTO के IT Agreement-I (ITAI) के तहत सरकार पर टैरिफ लगाने की सीमाएं हैं। इसके अलावा, चीनी कंपनियां सस्ते उपकरण बनाती हैं और टैरिफ की ऊंची दीवार को पार करके भी बाजार पर अपना कब्जा जमा सकती हैं।

सीसीटीवी के बाद सरकार का अगला प्लान

जिस तरह सीसीटीवी के लिए अनिवार्य मानकों को पहले सरकारी खरीद के लिए लागू किया गया था और फिर खुदरा बाजार में भी लागू कर दिया गया। ठीक उसी तरह अन्य क्षेत्रों में भी यही रणनीति अपनाई जा सकती है। इससे भारतीय सेलर्स को बदलाव के लिए तैयारी करने और मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने का समय मिल जाएगा।

सरकार क्यों करना चाहती है नियमों में बदलाव

पिछले साल पीसी और लैपटॉप उद्योग ने आयात पर सरकारी नियंत्रण का विरोध किया था। उनका तर्क था कि इससे आपूर्ति कम हो जाएगी और कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे कंज्यूमर्स पर असर पड़ेगा। हालांकि, सरकार का मानना है कि धीरे-धीरे बदलाव लाना ज्यादा फायदेमंद होगा।

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