गलत दिशा में जा रहे ट्रैक्टर को ट्राले ने चपेट में ले लिया, झोपड़ी में घुस गया, चालक की मौत

रतलाम/सिमलावदा
महू-नीमच हाईवे पर रतलाम जिला मुख्यालय से करीब 28 किलोमीटर दूर सातरुंडा चौराहे के समीप गलत दिशा में जा रहे ट्रैक्टर को ट्राले ने चपेट में ले लिया। इसके बाद ट्राला ट्रैक्टर को साथ लेकर सड़क से करीब 20 फीट दूर तक घसीटता हुआ ले गया और झोपड़ी में घुस गया। हादसे में ट्रैक्टर चालक की मौत गई। उसका साथी गंभीर रूप से घायल हो गया। हादसे के दौरान ट्रैक्टर बिजली के पोल से भी टकराया और तारों से चिंगारियां निकली, जिससे ट्राला व ट्रैक्टर में आग लग गई। इससे झोपड़ी में रखे बिस्तर, कपड़े व घरेलू सामान भी जल गया।

ये है पूरा मामला
ग्रामीणों के अनुसार सिमलावदा ग्राम पंचायत के ग्राम खेड़ी निवासी 50 वर्षीय दयाराम मुनिया पुत्र नाथू मुनिया अपने ट्रैक्टर के साथ शुक्रवार को साथी 50 वर्षीय रमेश ओहरी पुत्र नाथू ओहरी निवासी ग्राम खेड़ी को साथ लेकर खेत जोतने गया था। खेत जोतकर दोनों शाम करीब पौने पांच बजे वापस अपने गांव खेड़ी लौट रहे थे। इसी दौरान सातरूंडा से करीब 500 मीटर दूर ग्राम खेड़ी के लिए रांग साइड में होकर जा रहे थे। करीब दो सौ मीटर दूर पहुंचे थे कि इंदौर की तरफ से आ रहे लोहे एंगल से भरे ट्राला ने ट्रैृक्टर को चपेट में लिया। ट्राला मुकेश वसया की झोपड़ी के पास पहुंचकर ट्रैक्टर के अगले हिस्से पर चढ़कर मुकेश की झोपड़ी में जा घुसा। इससे ट्रैक्टर चालक दयाराम मुनिया की मौके पर ही मौत हो गई। रमेश ओहरी घायल हो गया। आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। उन्होंने मृतक व घायल को वाहनों के बीच से निकाला। उसके बाद दोनों को मेडिकल कॉलेज भिजवाया, जहां रमेश ओहरी का इलाज चल रहा है।
 
बिजली पोल के तारों से लगी आग
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हादसे के दौरान जब ट्राला अपने साथ ट्रैक्टर को घसीटता हुआ ले जा रहा था, तब ट्रैक्टर मुकेश के घर के पास लगे बिजली के पोल से टकराया। इससे बिजली तारों में स्पार्किंग हुई और दोनों वाहनों के अगले हिस्से में आग लग गई। मौके पर उपस्थित लोगों ने बाल्टियों से पानी डालकर आग पर काबू पाया। आग के दोनों वाहनों के अगले हिस्से जल गए। समय रहते आग नहीं बुझाई जाती, तो दोनों वाहनों पूरे जल जाते। हादसे में मुकेश की झोपड़ी पूरी तरह गिर गई। घर में रखे बिस्तर, कपड़े व अन्य सामान जल गया।

झोपडी से निकलकर भागे
32 वर्षीय मुकेश वसुनिया ने बताया कि हादसे के समय वह, उसका छोटा भाई 30 वर्षीय राकेश, पत्नी 29 वर्षीय संगीता, मां 50 वर्षीय कस्तूरबा बाई, नानी 70 वर्षीय बाबूड़ीबाई और मेरे तीन बच्चे झोपड़ी में थे। जैसे ही वाहनों को घर की तरफ आते दिखे, तभी हम सभी लोग पीछे के रास्ते से निकलकर दूर भाग गए। आज हम भी हादसे का शिकार हो जाते। पुलिस अधिकारी व जवान भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने घटना की जानकारी ली है। दुर्घटना के बाद ट्राला चालक भाग निकला।

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