केकड़ी.
केकड़ी में स्थित महावीर मिल्स के मनीष कटारिया, हेम इण्डस्ट्रीज के प्रेमचंद बाकलीवाल, केडीएम इण्डस्ट्रीज के हरिनारायण मंत्री, राजश्री इण्डस्ट्रीज के दिनेश काबरा, बरफीदेवी इण्डस्ट्रीज के पारस कुमार जैन, आर के इण्डस्ट्रीज के पार्थिक जैन, अरावली इण्डस्ट्रीज के विनोद जैन आदि मिल मालिकों ने बताया कि राजस्थान में दलहन पर 1.60 प्रतिशत मंडी शुल्क एवं 0.50 प्रतिशत कृषक कल्याण नामक सेस वसूला जा रहा है।
जबकि अन्य राज्य गुजरात में मंडी टैक्स 0.60 प्रतिशत व हरियाणा में 1 प्रतिशत लिया जाता है तथा पंजाब, दिल्ली और बिहार में कोई मण्डी टैक्स नहीं लिया जाता है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में दलहन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार को आयातित दलहन को मंडी टैक्स के दायरे से बाहर करना चाहिए तथा कृषक कल्याण शुल्क भी समाप्त करना चाहिए। उन्होनें कहा कि दलहन उत्पादन में मध्यप्रदेश भले ही राजस्थान से आगे हो। लेकिन दाल उत्पादन में राजस्थान देश में नंबर वन पर है। राजस्थान में तीन हजार से ज्यादा दाल मिले है। प्रदेश के व्यवसायियों को कच्चे माल की पूर्ति के लिए पड़ोसी राज्यों से मंडी शुल्क चुका कर माल खरीदना पड़ रहा है। फिर यहां आते ही फिर से मंडी टैक्स के साथ कृषि कल्याण टैक्स की मार है। इसका फायदा उठाकर दूसरे राज्य के लोग राजस्थान में दाल बेचकर मुनाफा कमा रहे है और प्रदेश का दलहन उद्योग अन्य राज्यों में पलायन के लिए मजबूर हो रहा है। टैक्स की दोहरी मार के कारण प्रदेश का दलहन आधारित उद्योग संकट में है। ज्यादातर व्यापारी अपने उद्योग को उन पड़ोसी राज्य में शिफ्ट करने पर विचार कर रहे है, जहां टैक्स कम है। कृषि मण्डी व्यापारिक एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवप्रकाश तोषनीवान ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा दलहन पर जो टैक्स लिया जा रहा है, उसे तत्काल प्रभाव से हटाना चाहिए तथा अन्य राज्यों के समान टैक्स में छूट देने चाहिए, जिससे दाल मिल संचालकों को प्रोत्साहन मिल सके और दलहन की असीमित संभावनाओं वाले राजस्थान प्रदेश में व्यापार फल फूल सके। इस दौरान प्रमोद जैन, नमन जैन, विनय जैन, दीपक धूपिया, पारस जैन, मुकेश कुमार शर्मा, वैभव धूमिया, अमन जैन, मनीष मंत्री, शंभू प्रकाश पारीक, शांतिलाल जैन, गौतमसिंह जैन, भंवर लाल फतेहपुरिया, ओमप्रकाश फतेहपुरिया, शैलेंद्र कुमार बोरदिया, सुशील चौधरी, अमित धूपिया, विजय तोषनीवाल, सुरेश कुमार जैन सहित कई मंडी व्यापारी भी मौजूद थे।