कालाष्टमी का दिन भगवान काल भैरव की कृपा पाने का एक सुनहरा अवसर

हिन्दू धर्म में कालाष्टमी पर्व का बहुत अधिक महत्व होता है. कालाष्टमी का दिन भगवान काल भैरव को समर्पित होता है. इस दिन उनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है. कालाष्टमी का पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान शिव के एक उग्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है. काल भैरव की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं. काल भैरव की पूजा करने से भय और आतंक का निवारण होता है और इस दिन की गई पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है.

पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की 22 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट पर होगी. और अगले दिन 23 दिसंबर को शाम 05 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगी. काल भैरव देव की पूजा निशा काल में की जाती है. ऐसे में 22 दिसंबर को पौष महीने की कालाष्टमी मनाई जाएगी.

काल भैरव पूजा सामग्री

काल भैरव की मूर्ति या चित्र, गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, कुमकुम, रोली, चंदन, फूल, धूप, दीपक, नैवेद्य (जलेबी, इमरती, पान), सरसों का तेल, काले तिल, सुपारी, लौंग, नारियल, काला कुत्ता (यदि आसपास हो).

ऐसे करें कालभैरव की पूजा

    कालाष्टमी के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
    पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और पूजा कर व्रत का संकल्प लें.
    भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र को एक साफ चौकी पर स्थापित करें.
    मूर्ति पर गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक करें.
    मूर्ति को कुमकुम, रोली और चंदन से सजाएं और फूलों की माला पहनाएं.
    सरसों के तेल का दीपक जलाएं और भगवान को जलेबी, इमरती, पान आदि का भोग लगाएं.
    काले तिल, सुपारी और लौंग अर्पित करें.
    “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें और भगवान काल भैरव की आरती करें.
    भगवान काल भैरव का तीन बार प्रदक्षिणा लगाएं और लोगों को प्रसाद वितरित करें.
    कालाष्टमी के दिन काला कुत्ता मिलने पर उसे रोटी खिलाएं.
    इस दिन भगवान काल भैरव को शराब अर्पित करने की मान्यता भी है, लेकिन यह सभी के लिए आवश्यक नहीं है.
    पूजा करते समय सकारात्मक भाव रखें और मन में किसी भी प्रकार का भय न रखें.
    पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और जरूरतमंदों को दान दें.

कालाष्टमी के दिन क्या करें और क्या नहीं?

    कालाष्टमी के दिन व्रत रखें और भगवान काल भैरव के मंदिर में जाएं.
    शिव पुराण का पाठ करें.
    गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं.
    इस दिन किसी से भी झूठ न बोलें.
    कालाष्टमी के दिन मांस-मदिरा का सेवन न करें.
    इस दिन किसी का अपमान न करें.

कालाष्टमी पर्व का महत्व

भगवान काल भैरव को भगवान शिव का एक उग्र रूप माना जाता है. उन्हें समय और मृत्यु का स्वामी भी कहा जाता है. काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं. काल भैरव को शत्रुओं का नाश करने वाला माना जाता है. उनकी पूजा करने से व्यक्ति के सभी शत्रु नष्ट हो जाते हैं. काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति में साहस आता है और सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं. काल भैरव की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है. काल भैरव को न्याय का देवता भी माना जाता है. उनकी पूजा करने से कानूनी मामलों में सफलता मिलती है. काल भैरव की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं.

 

  • admin

    Related Posts

    राशिफल बुधवार 18 दिसम्बर 2024

    मेष राशि- मेष राशि वालों के लिए आज का दिन मिला-जुला रहने वाला है। अतीत की बातों को लेकर मन में उतार-चढ़ाव आएंगे। हालांकि आपको नकारात्मक विचारों से दूर रहना…

    राशिफल मंगलवार 17 दिसम्बर 2024

    मेष राशि- खर्चों पर नियंत्रण रखना होगा। लंबे समय के बाद कार्यों के पूरा होने पर खुशी महसूस होगी। लव लाइफ में नए रोमांचक मोड़ आएंगे। किसी खास प्रोजेक्ट की…

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    धर्म

    राशिफल बुधवार 18 दिसम्बर 2024

    राशिफल बुधवार 18 दिसम्बर 2024

    राशिफल मंगलवार 17 दिसम्बर 2024

    राशिफल मंगलवार 17 दिसम्बर 2024

    कालाष्टमी का दिन भगवान काल भैरव की कृपा पाने का एक सुनहरा अवसर

    कालाष्टमी का दिन भगवान काल भैरव की कृपा पाने का एक सुनहरा अवसर

    इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को, जानें शुभ मुहूर्त

    इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को, जानें शुभ मुहूर्त

    राशिफल सोमवार 16 दिसम्बर 2024

    राशिफल सोमवार 16 दिसम्बर 2024

    अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व

    अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व