राम जन्मभूमि केस हिंदुओं ने साक्ष्य के आधार पर जीता है, न कि आस्था के आधार पर: पीएन मिश्र

नई दिल्ली.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एन.मिश्र ने कहा कि रामजन्म भूमि केस पर निर्णय आए पांच साल हो चुके हैं, परन्तु कुछ लोग अभी भी इस पर विवाद पैदा कर देश में भ्रम की स्थिति बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं एक बात साफ कर दूं कि रामजन्म भूमि पर सुप्रीम कोर्ट ने साक्ष्यों और मेरिट के आधार पर हिंदुओं के पक्ष में निर्णय दिया है न कि आस्था या विश्वास के आधार पर, जैसा कि कुछ लोग गाहे-बगाहे अनर्गल बयान देते रहते हैं।

पी.एन.मिश्र ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका यह वक्तव्य कुछ समय पूर्व पूर्व न्यायाधीश आर.एफ.नरीमन के द्वारा दिए गये बयान का जवाब है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पी.एन.मिश्र कुरुक्षेत्र गुरुकुलम् फाउंडेशन द्वारा दिल्ली के द्वारका में आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे। 'सनातन धर्म: भारतीय संस्कृति का मूल आधार' विषय पर आयोजित सेमिनार में एडवोकेट पी.एन.मिश्र ने कहा कि 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट और 2019 में सुप्रीम कोर्ट से रामजन्म भूमि के पक्ष में आया निर्णय साक्ष्य आधारित है, न कि आस्था अथवा भावना आधारित, जैसा कि कुछ लोग बिना कोर्ट का निर्णय पढ़े यह बयान देते हैं और समाज में भ्रम और अदालत के निर्णय के विरुद्ध अविश्वास पैदा करने का प्रयास करते रहते हैं। अब ऐसे बयानों पर रोक लगना चाहिए। ज्ञात हो कि अभी कुछ दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आरएफ नरीमन ने राम मंदिर को लेकर एक ऐसा बयान दिया था, जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

उन्होंने कहा था कि राम मंदिर और बाबरी मस्जिद की कानूनी लड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था वह सेकुलरिज्म के सिद्धातों के विरुद्ध था। पी.एन.मिश्र का वक्तव्य जस्टिस नरीमन के उपरोक्त बयान का जवाब माना जा रहा है। ज्ञात हो कि रामजन्म भूमि केस में सबसे लंबे समय तक बहस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पी.एन.मिश्र शंकराचार्यों की संस्था 'अखिल भारतीय श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति' की ओर से इस केस में 2009 से पैरवी कर रहे थे और विदेशी लेखक हंस बेकर की पुस्तक से आखिरी साक्ष्य उन्होंने ही प्रस्तुत किया, जिससे सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के बेंच ने रामजन्म भूमि के पक्ष में निर्णय दिया।

उक्त मौके पर बेंच में शामिल पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ ने स्पष्ट कहा भी कि मिश्रा जी आपके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य की वजह से हम इस निर्णय पर पहुंच सके हैं। कुरुक्षेत्र गुरुकुलम् फाउंडेशन द्वारा आयोजित सेमिनार में सीबीआई के पूर्व निदेशक एम.नागेश्वर राव ने अपने वक्तव्य में बांग्लादेश में हो रहे हिंदुओं के नरसंहार पर प्रकाश डाला और यह बताया कि हिंदुओं के खोते शत्रु बोध और वास्तविक हिंदू नेतृत्व के अभाव में आज विश्व में हिंदुओं के लिए एक भी देश नहीं है, जबकि क्रिश्चियन, मुस्लिम और बौद्धों तक के अनेक देश हैं। इस सेमिनार के अन्य वक्ताओं में मानुषी की संस्थापक प्रो मधु किश्वर सहित डॉ शिल्पी तिवारी, रितु राठौर, अचार्य गिरिरत्न मिश्र, डॉ प्रदीप भारद्वाज, कमल रावत, विशाल सिंह, विजय मुंडा आदि शामिल थे।

 

 

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